रायपुर. बस्तर संभाग में रावघाट परियोजना में 100 करोड़ रुपए मुआवजा दिए जाने के मामले में High Court की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है. अधिकारियों और भूस्वामियों के बीच हुई मिलीभगत से ज्यादा मुआवजा देना Court ने पाया और याचिका को खारिज कर दिया. इससे पहले Collector ने एफआईआर दर्ज कराई थी. मई 2022 में सुनवाई के बाद Court ने अपने आदेश के फैसले को सुरक्षित रख लिया रह था. Court ने बीते मंगलवार को मामले में बड़ा फैसला दिया है.
हाई Court ने अपने आदेश में सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखते हुए भू स्वामियों को शासन के हड़पे गए रकम वापसी का आदेश दिया है. बता दें कि बस्तर को Raipur से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण रेल लाइन रावघाट परियोजना का मामला घोटाले की शोर के बीच हाई Court पहुंचा. जहां एक तरफ बस्तर Railway Private Limited ने हाई Court में प्रभावित किसानों को दी गई ज्यादा मुआवजा को वापस दिलाने की मांग की थी.
वहीं किसानों ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी. हाई Court में दायर दोनों पक्षों ने याचिका में बताया कि रावघाट परियोजना के बीच में आ रहे बस्तर के ग्राम पल्ली में एक station बनना है.
इनके मुआवजे को लेकर फैसला
ग्राम पल्ली में बली नागवंशी 2.5 हेक्टेयर और नीलिमा बेलसरिया 1.5 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई.
इसके बदले उन्हें 100 करोड़ रुपए मुआवजा दिया गया.
बहस के दौरान बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र की जमीन का अतिरिक्त मुआवजा दिए हैं.
राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिली भगत कर गड़बड़ी की गई है.
सरकारी नोटिफिकेशन में यह जमीन ग्रामीण क्षेत्र में ही दिखा रहा है.
वहीं किसानों का कहना था कि उनको सही मुआवजा दिया गया है. उनकी जमीन नगर निगम सीमा से लगी हुई है,
जिसका कृषि भूमि से आवासीय उपयोग के लिए परिवर्तन करा लिया गया था.
इसके कारण उनकी जमीन की कीमत दूसरे किसानों से अधिक हो गई.
मामले को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने फैसले को रिजर्व कर लिया था.
बीते मंगलवार को आए फैसले में कोर्ट ने भू स्वामियों की याचिका खारिज कर दी.
वहीं इसी मामले से संबंधित एक याचिका में इरकॉन के दो अधिकारी सुरेश बी.
मताली और एवीआर मूर्ति को राहत दिया है. उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया है.