प्लास्टिक प्रदूषण को हराने कार्यक्रम की शुरुवात ग्रीन केयर सोसायटी तथा सिविल इंजीनियरिंग फाउंडेशन के द्वारा शाउमावि कोमाखान में 600 विद्यर्थियों एवं शिक्षकों ने प्लास्टिक उपयोग का बहिष्कार एवं देश को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर ग्रीन केयर सोसायटी से विश्वनाथ पाणीग्रही, प्राचार्य केआर ध्रुव, विजय शर्मा सहित शिक्षक गण मौजूद रहे।
बताया कि प्लास्टिक हमारे लिए कितना नुकसान
- आज पॉलीथिन का उपयोग हमारी आदत बन गई है।
- बाजार से चाहे जो भी लाना हो पॉलीथिन में लाना हमारे लिए शान की बात है
- जबकि हाथ में थैला ले जाना हम अपने शान के खिलाफ समझते हैं।
- बाजार से सामान लाने में मामूली सा सहूलियत देने वाली पॉलीथिन पूरे जीव जगत के लिए खतरनाक साबित हो रही है।
- प्लास्टिक विकास परिषद द्वारा कराए गए एक सर्वे के आंकड़ों पर विश्वास करें तो भारत दुनिया में
- प्लास्टिक का उपयोग करने वाला तीसरा देश बन चुका है।
- वर्तमान में भारत में प्लास्टिक की थैलियां बनाने के काम में लगभग चार सौ इकाईयां व्यस्त है।
- इन उत्पादन इकाईयों में प्रतिवर्ष आठ सौ करोड़ से लेकर 1 हजार करोड़ तक का व्यवसाय किया जा रहा है।
- 7 फरवरी 2011 से पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने गुटखा एवं अन्य तम्बाक उत्पादों को प्लास्टिक के पाऊच में पैक करने पर
- प्रतिबंध लगा दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की भी सहमति है।
सबसे नीचे देखिए कार्यक्रम का वीडियो
- पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 5 सौ अरब प्लास्टिक बैग उपयोग किये जा रहे है,
- इसी प्रकार प्रति मिनट एक लाख से अधिक पॉलीथिन का उपयोग करते हुए उसे यहां वहां फेंका जा रहा है।
- पॉलीथिल थैलियां जो अनुपयोगी होने के बाद नष्ट नहीं हो पा रही है,
- उनसे ही हमारा पर्यावरण अत्यधिक प्रदूषित हो रहा है।
- आज स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि विज्ञापन से लेकर
- सब्जी बैग और अन्य प्रकार की खाद्यान्न
- सामग्रियों को पैक करने में भी पॉलीथिनका ही उपयोग हो रहा है।
- आकाश से लेकर जमीन और जल स्त्रोतों में भी पॉलीथिनके बैग उड़ते और तैरते देखे जा सकते है।
- गंदे पानी बहाव के मार्ग को भी ऐसी ही थैली चोक कर रही है।
- ऐसी ही फेंकी गयी थैलियों पर कीटाणुओं और बैक्टीरिया उत्पन्न होने से बीमारियों को प्रश्रय मिल रहा है।
- होटलों आदि में बहुत पतली प्रतिबंधित पॉलीथिन का उपयोग करने के कारण
- खाली थैलियों को कूड़े में फेंक देने से जलीय जीवों और
मवेशियों को नुकसान पहुंच रहा है
धोखे से पॉलीथिन खाने के कारण हर साल दुनिया भर में एक लाख से अधिक व्हेल मछली, सील और कछुए सहित अन्य जलीय जंतु मारे जाते हैं. जबकि भारत में 20 गाय प्रतिदिन पॉलीथिन खाने से मर रही हैं. हम हिन्दू जो गौ हत्या का हमेशा विरोध करते है पॉलीथिन का उपयोग कर क्या हम गौ हत्या का पाप नहीं कर रहे हैं सैकड़ों सालों तक नष्ट न होने वाली पॉलीथिन से नदी नाले ब्लॉक हो रहे हैं और जमीन की उत्पादकता पर भी असर पड़ रहा है. 13 साल पहले पॉलीथिन पर रोक तो लगाई गई लेकिन उसका अब तक पालन नहीं हुआ है।
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ग्रीन केयर सोसायटी ने कहा अब समय आ गया है करें बहिष्कार
ग्रीन केयर सोयायटी के विश्वनाथ पाणीग्रही ने कहा अब समय आ गया है प्लास्टिक के बहिष्कार करने का। उसका कम से कम याने न्यूनतम उपयोग करने का। अगर हम जागरुक हो जाते हैं तो अवश्य ही इस बहुत बड़ी आपदा से बचा जा सकता है। हमें पुन: कागज के बैगों की तरफ़ जाना होगा। इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा और पर्यावरण की रक्षा भी होगी। पर्यावरण को बचाना हमारा मुख्य ध्येय होना चाहिए। पृथ्वी की हरीतिमा को हमें बचाना है। पर्यावरण के प्रदुषण को खत्म नहीं कर सकते तो कम अवश्य करना है। हम प्लास्टिक उपयोग स्वयं ही कम करें तथा अपने इष्ट मित्रों को इसका उपयोग कम करने सलाह दे। प्रकृति के प्रति यह हमारा नैतिक दायित्व बनता है।