अंबिकापुर। शहर में सोमवार को एक ऐसा भावनात्मक और अनोखा दृश्य देखने को मिला जिसने हर किसी का दिल छू लिया। 82 वर्षीय बलदेव प्रसाद सोनी और 77 वर्षीय बेचनी देवी ने अपने 65वें वैवाहिक वर्षगांठ को बेहद खास अंदाज में मनाया — शादी की रस्मों के साथ दोबारा विवाह रचाकर।
समारोह में हल्दी, संगीत, बारात और वरमाला जैसी पारंपरिक रस्में पूरी की गईं। ढोल-नगाड़ों की थाप पर रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों ने जमकर नृत्य किया। दूल्हा बने बलदेव प्रसाद पारंपरिक पोशाक में बेहद खुश नजर आए, जबकि दुल्हन बेचनी देवी की मुस्कुराहट ने पुराने दिनों की यादें ताजा कर दीं।
परिवार ने पूरी की माता-पिता की अधूरी ख्वाहिशें
ब्रम्हरोड निवासी बलदेव प्रसाद और बेचनी देवी के दो बेटे दिनेश व विनोद, और दो बेटियां मंजू व अंजू हैं। परिवार ने बताया कि माता-पिता की शादी कम उम्र और सीमित साधनों में हुई थी, जिससे कई इच्छाएं अधूरी रह गई थीं। इस बार चारों संतानों ने मिलकर अपने माता-पिता की अधूरी ख्वाहिशें पूरी करने का फैसला किया।
घर से बारात निकली, हल्दी-मंडप की रस्में हुईं, और एक बड़े होटल में भव्य वैवाहिक समारोह संपन्न हुआ। बहुएं बसंती और उर्मिला, तथा दामाद शिवशंकर और अशोक ने भी पूरे दिल से सहयोग किया।
परपोते ने निभाई सबसे प्यारी भूमिका
आयोजन का सबसे भावनात्मक पल वह रहा जब दंपत्ति के 18 वर्षीय परपोते तनिष्क सर्राफ ने सारथी बनकर अपनी गाड़ी में परदादा-दूल्हा और परदादी-दुल्हन को विवाह स्थल तक पहुंचाया। यह दृश्य प्रेम, सम्मान और परिवारिक एकता का जीवंत प्रतीक बन गया।
प्रेम और साथ निभाने की मिसाल
स्थानीय लोगों ने इस आयोजन को प्रेम और समर्पण की अनोखी मिसाल बताया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक सालगिरह नहीं थी, बल्कि विवाह के असली अर्थ — साथ निभाने के संकल्प की पुनः याद दिलाने वाला क्षण था।”
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