महासमुंद. शनिवार की दोपहर ठीक 11.58 होते ही परछाई गायब हो गई। यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि यह एक खगोलीय घटना है। यह घटना साल में दो बार होता है। इस घटना को प्रदर्शित करने के लिए केंद्रीय विद्यालय के विशेषज्ञ शिक्षकों ने जीरो शेडो दिवस के रूप में मनाया।
पढ़िए इसलिए ऐसा होता है
- छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के कार्यकर्ता एवं फिजिक्स के शिक्षक अजय कुमार भोई जी ने जीरो शेडो डे से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी।
- उन्होंने बताया कि शून्य छाया दिवस की घटना कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच ही घटित होती है।
- इस दौरान भूमध्य रेखा से कर्क रेखा के बीच कुछ स्थानों पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है।
- जिस कारण वहां के लंबवत खड़ी किसी चीज की परछाई नहीं बनती।
टेबल में कॉच लगा किया प्रदर्शन
- केंद्रीय विद्यालय शिक्षक अजय कुमार भोई, पीके निर्मलकर ने बताया कि यह घटना साल में दो बार होती है। जब सूर्य मध्यान्ह के समय ठीक हमारे सिर के ऊपर चमकता है।
- इसलिए उन दो दिनों में मध्यान्ह के समय हमारी परछाई हमारा साथ छोड़ देती है।
- परछाई न बनने के इस घटनाक्रम को खगोल विज्ञानी जीरो शैडो-डे या ‘शून्य छाया दिवस’ कहते हैं।