-बाबु ने फाइल को इसलिए वापस कर दिया कि उन्हें नहीं मिला दक्षिणा
महासमुंद. पांंच साल से खुद के नर्सरी को काटने की अनुमति के लिए भटक रहा एक परिवार को कलेक्टर ने जल्द कार्रवाई का भरोसा तो दिया था, लेेकिन एसडीएम कार्यालय में पदस्थ बाबु चुन्नीलाल ने तहसीदार द्वारा जांच कर भेजी गई फाइल को अधूूरा बताकर वापस भेज दिया है। यहां तक फाइल को एसडीएम कोे दिखाना भी मुनासिब नहीं समझा गया। इधर बागबाहरा तहसीलदार एके भोई ने कहा कलेक्टर हिमशिखर गुप्ता के निर्देशों का पालन कर फाइल को पूरा किया गया था। लेकिन फइल अब क्या कमी रह गया देखना पड़ेगा।
पांचवी बार फाइल हुआ वापस
- खट्टा निवासी गणेशी बाई ठाकुर पति रामधीन पांच साल पहले अपने खुद के जमीन में लगाए पेड़ को काटने की अनुमति के लिए आवेदन दिया। लेकिन अफसरों ने 50 से भी अधिक पेशी बुलाई। मजेदार तो यह है कि गणेशी बाई की पति फारेस्ट विभाग में डिप्टी रेंजर था, जो अब लकवाग्रस्त है। जिसके कारण इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। दो साल पहले महासमुंद में पदस्थ कलेक्टर उमेश अग्रवाल ने फाइल में नर्सरी कोे फोटो नहीं होने का हवाला देकर वापस किया था, इसके बाद वर्तमान कलेक्टर ने धारा 40,41 अधिनियम के तहत जांच के लिए वापस किया। जिसे जांच के बाद तहसीलदार ने पुुन: प्रेषित किया था। लेकिन फाइल एसडीएम और कलेक्टर के पास पहुंचने के पहले ही बाबु ने फाइल वापस कर दी है।
– देखिए बाबु चुन्नीलाल का तर्क …
– जितना लकड़ी काटने की अनुमति मांगी गई है वह स्पॉट में नहीं है
– इसलिए नहीं है कि प्रार्थी ने लकड़ी चोरी होने की सूचना पहले ही दे दी है।
– जरूरी नहीं है कि हर फाइल को एसडीएम को दिखाए
– अगर प्रार्थी समय पर बाबु से मिल लेता तो फाइल साहब के पास पहुंच जाता