भूपेश बघेल की सुप्रीम कोर्ट में ED को चुनौती, डबल बेंच में सुनवाई 6 अगस्त को

CG भूपेश बघेल

रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपनी याचिका में ED पर मौलिक अधिकारों के हनन और कानून की अवहेलना का गंभीर आरोप लगाया है। बघेल ने पीएमएलए एक्ट की धारा 44, 50 और 66 के उल्लंघन का हवाला देते हुए कहा कि ईडी की कार्यवाही संविधान के विपरीत है।

उनकी याचिका पर 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में आधे घंटे तक सुनवाई हुई, जिसके बाद कोर्ट ने इसे डबल बेंच में भेजने का निर्देश दिया है। अब यह मामला 6 अगस्त को डबल बेंच में सुना जाएगा।


चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी पर उठाए सवाल

भूपेश बघेल ने अपने बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को पूरी तरह ग़ैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि ED ने न तो कोई नोटिस दिया था, न कोर्ट से अनुमति ली, और सीधे गिरफ्तारी कर ली।
उन्होंने कहा कि “चैतन्य को तीन साल पहले नोटिस दी गई थी और वह ED दफ्तर भी गया था। इसके बाद उसे कोई नोटिस नहीं मिली, लेकिन अचानक उसे गिरफ्तार कर लिया गया।”

बघेल का यह भी आरोप है कि चैतन्य की गिरफ्तारी एक अन्य आरोपी के बयान के आधार पर हुई है, जबकि वह आरोपी आज भी खुलेआम घूम रहा है और ईडी ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।


विजय शर्मा पर तीखा हमला

गृहमंत्री विजय शर्मा के उस बयान पर कि “डरकर बघेल सुप्रीम कोर्ट गए हैं”, भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए कहा,

“विजय शर्मा अब ED के प्रवक्ता बन गए हैं। उन्हें बताना चाहिए कि क्या ED कानून के अनुसार काम कर रही है या नहीं।”

भूपेश बघेल ने सवाल किया कि यदि ईडी ने चार्जशीट दायर कर दी थी, तो आगे की जांच के लिए कोर्ट की अनुमति क्यों नहीं ली गई? उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर कानूनी चूक है।


राजनीतिक गर्मी तेज

इस घटनाक्रम से छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर ED बनाम विपक्ष का मुद्दा गरमा गया है।
सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं, जिससे यह तय हो सकता है कि ED की कार्रवाई कानून के अनुरूप है या नहीं।

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