बीजापुर जिले में गंगालूर-मिरतुर सड़क निर्माण से जुड़ी भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के चलते पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। लोक निर्माण विभाग (PWD) के दो सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता, एक वर्तमान EE, एक SDO और एक सब-इंजीनियर को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेन्द्र यादव ने पुष्टि की है कि यह कार्रवाई विशेष जांच दल (SIT) द्वारा की गई, जो मुकेश चंद्राकर हत्या कांड की जांच कर रही थी। गिरफ्तार सभी अधिकारियों को दो दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है और उनसे पूछताछ जारी है।
मुकेश चंद्राकर की हत्या और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश:
1 जनवरी 2025 की रात से लापता पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव 3 जनवरी को एक सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ था। यह टैंक उनके रिश्तेदार और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के मजदूरों के अस्थायी आवास के पास बना था। पुलिस ने सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था, साथ ही उनके दो भाई और एक सुपरवाइज़र को भी हिरासत में लिया गया।
जांच में सामने आया कि मुकेश ने गंगालूर से मिरतुर तक बन रही सड़क में हो रहे भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण को उजागर किया था। SIT ने जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ाई, वैसे-वैसे सड़क परियोजना में विभागीय मिलीभगत से हुए घोटाले सामने आए।
73 करोड़ की परियोजना में भारी गड़बड़ियाँ:
नेलसनार-कोड़ोली-मिरतुर-गंगालूर सड़क परियोजना को 2010 में 73.08 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृति दी गई थी। मुकेश ने सोशल मीडिया और अपने वीडियो पोर्टल पर लगातार इसकी पोल खोली।
सच बोलने की कीमत जान देकर चुकाई:
मुकेश चंद्राकर बीजापुर जैसे नक्सल प्रभावित इलाके में निर्भीकता से पत्रकारिता करने वाले चुनिंदा पत्रकारों में शामिल थे। उन्होंने सिर्फ भ्रष्टाचार ही नहीं उजागर किया, बल्कि माओवादी कैद से सुरक्षाकर्मी की रिहाई जैसे सामाजिक कार्यों में भी भागीदारी की थी।
उनकी हत्या न सिर्फ एक पत्रकार की हत्या है, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है। उनके साहसिक योगदान को पत्रकारिता जगत कभी भुला नहीं पाएगा।