भाजपा जिला अध्यक्ष महासमुंद द्वारा मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को लिखे पत्र पांच दिन बाद सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। दिलचस्प तो यह कि इस पत्र को पुलिस विभाग के कर्मचारी वायरल कर रहे हैं। जबकि घटना को लेकर जांच दल गठित किया जा चुका है जांच जारी है। जांच को प्रभावित करने तरह-तरह के रणनीति अपनाया जा रहा है। दूसरी ओर भाजपा जिला अध्यक्ष का लेटर सीधे पुलिस तक पहुंचना भी कई सवाल को खड़े कर रहे हैं।
पढ़िए भाजपा जिला अध्यक्ष ने जांच के पहले ही बता दिया पुलिस को पाक-साफ
जिला अध्यक्ष इंद्रजीत गोल्डी के लेटर पेड से जारी पत्र में मुख्यमंत्री से कहा गया है। कि 20 जून को हुई विधायक महासमुंद द्वारा थाना में फर्जी छेड़छाड़ प्रकरण को लेकर दबाव बनाया जा रहा था। जिसमें अपने समर्थक अंकित लुनिया की गलती को छूपा सकें।
अंकित लुनिया द्वारा अनुसूचित वर्ग के नाबलिक बच्चों से मारपीट किया था। एवं उस मारपीट की घटना को छूपाने पुलिस का गुमराह किया जा रहा था। लड़कियों से छेड़छाड़ की फर्जी घटना उपरोक्त मारपीट की घटना से बचाने का प्रयास था।
इस प्रकरण में विधायक विमल चोपड़ा द्वारा अपने समर्थकको बचाने लगभग 100 लोगों को थाने में ले जाकर रात्रि 8.30 से 11.30 तक गाली-गलौज और धमकी के अराजकता फैलाने का प्रयास किया। उनके समर्थकों द्वारा पथराव करने से मामला गंभीर होते गए। पुलिस हस्तक्षेप नहीं करती तो मामला और भी विस्फोटक हो जाता। इस प्रकार उनके द्वारा पार्टी को बदनाम करने का प्रयास शासन-प्रशासन को बदनाम किया जा रहा है।
सीएम को दिए पत्र में इन नेताओं का हस्ताक्षर
प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य पिछड़ा वर्ग, ऐतराम साहू, योगेश्वर चंद्राकर, प्रेम चंद्राकर, गोपा साहू, मोती साहू, मीना वर्मा, किरण ढीढी, डिगेश्वरी चंद्राकर, लक्ष्मी साहू, सीता डोडेकर, सुरेखा कंवर, पजू कुमार पटेल, तथा संतोष वर्मा शहर महामंत्री का हस्ताक्षर है।
अब तक मीडिया से दूर थी यह लेटर
विधायक डा. विमल चोपड़ा के समर्थक देवीचंद राठी, महेंद्र जैन, उत्तरा प्रहरे, लक्ष्मीकांत तिवारी, मोहन साहू जितेंद्र साहू ने कहा प्रशासन द्वारा विधायक चोपड़ा को लगातार बदनाम करने की कोशिश किया जा रहा है। मीडिया के पास पहुंचने के पहले लेटर पुलिस विभाग तक पहुंच रहा है, लेटर की भूमिका संदिग्ध है। भाजपा के नेताओं द्वारा स्थानीय स्तर में बदनाम करने की कोशिश हो रही है। कार्यकर्ताओं ने कहा जब घटना को लेकर शासन जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशासन जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।


