डॉ. नीरज गजेंद्र की कलम

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. नीरज गजेंद्र बता रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति कैसी है। सरकार की योजनाएं कागजों पर किस तरह सुनहरी दिखती हैं। जमीनी हकीकत क्या है। नीतियों के इस खोखलेपन ने लोगों को स्वावलंबी बनाने के बजाय उन्हें मदद की आस में कहां खड़ा कर दिया है। आज की वास्तविकता यह हो गई है कि सरकारी वादे जरूरतमंदों के लिए सुविधाएं नहीं, बल्कि केवल आशाएं लेकर आते हैं। आइए पढ़कर समझते हैं कि शिक्षा एवं स्वास्थ में बुनियादी सुधार से किस तरह संभव है छत्तीसगढ़ का समग्र विकास। उनका लेख जस का तस, यहां पढ़िए-

वीरनारायण सिंह

बलिदान दिवस पर पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ नीरज गजेंद्र का लिखा- छत्तीसगढ़ के वीरनारायण सिंह केवल अतीत का एक नाम नहीं हैं। वे आज भी प्रासंगिक हैं। उनके आदर्श और विचार हर दौर में महत्वपूर्ण रहेंगे। 10 दिसंबर का बलिदान दिवस केवल उन्हें याद करने का दिन नहीं है। यह उनके आदर्शों को अपनाने और उनके बलिदान को सार्थक बनाने का अवसर है।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. नीरज गजेंद्र बता रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति कैसी है। सरकार की योजनाएं कागजों पर किस तरह सुनहरी दिखती हैं। जमीनी हकीकत क्या है। नीतियों के इस खोखलेपन ने लोगों को स्वावलंबी बनाने के बजाय उन्हें मदद की आस में कहां खड़ा कर दिया है। आज की वास्तविकता यह हो गई है कि सरकारी वादे जरूरतमंदों के लिए सुविधाएं नहीं, बल्कि केवल आशाएं लेकर आते हैं। आइए पढ़कर समझते हैं कि शिक्षा एवं स्वास्थ में बुनियादी सुधार से किस तरह संभव है छत्तीसगढ़ का समग्र विकास। उनका लेख जस का तस, यहां पढ़िए-

वीरनारायण सिंह

बलिदान दिवस पर पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ नीरज गजेंद्र का लिखा- छत्तीसगढ़ के वीरनारायण सिंह केवल अतीत का एक नाम नहीं हैं। वे आज भी प्रासंगिक हैं। उनके आदर्श और विचार हर दौर में महत्वपूर्ण रहेंगे। 10 दिसंबर का बलिदान दिवस केवल उन्हें याद करने का दिन नहीं है। यह उनके आदर्शों को अपनाने और उनके बलिदान को सार्थक बनाने का अवसर है।