Chanakya Niti: बेहतरीन लोगों से दोस्ती आपकों उन्नति दिलाता है। संगत से गुण जाता है, ऐसे में किसी व्यक्ति की संगति ही उसके जीवन की दशा और दिशा दोनों को तय करता है. सज्जन और अच्छे लोगों की संगति हमेशा आपको बेहतर इंसान बनाती है और आपके लिए तरक्की के मार्ग प्रशस्त करती है. व्यक्ति का जीवन सुखद होता है. ये वह लोग होते हैं जो आपको कभी गलत रास्ते पर जाने की सलाह नहीं देते और हमेशा बेहतर मार्ग दिखाते हैं और विपरित परिस्थितियों में भी हमेशा आपके साथ खड़े होते हैं. (Chanakya Niti)
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मदद और मुस्कान उस इत्र, जिसे में जितना दूसरों पर छिड़केंगे हमारा जीवन उतना ही मेहकेगा. सुखी जीवन हर व्यक्ति की अभिलाषा है लेकिन मनुष्य कई मोह-माया से घिरा हुआ है जो लोग इसके जाल से बाहर निकल जाते हैं उन्हें कभी दुख का मुंह नहीं तांकना पड़ता. परिस्थितियां हर समय एक जैसी नहीं हो सकती, बदलाव बेहद जरुरी है तभी हालात बेहतर बनते हैं. चाणक्य नीति में सुखी जीवन के 3 मूल मंत्र बताए गए हैं. आइए जानते हैं.
संतोष है सुखी जीवन की पहली सीढ़ी
आचार्य चाणक्य के अनुसार सुखी जीवन के लिए तीन बातें बहुत महत्वपूर्ण हैं पहली संतोष, दूसरा स्वास्थ और तीसरा भरोसा. संतुष्टि सुख का पर्याय है. जो इंसान हर परिस्थिति में संतुष्ट रहता है उसे वह कभी दुखी नहीं हो सकता है, ऐसे लोगों के जीवन में सुख दौड़ा चला आता है. समस्याओं का आना-जाना लगा रहता है और जो लोग समस्याओं का सामना सकारात्मक सोच के साथ करते हैं, उन्हें सफलता जरूर मिलती है. दूसरों की खुशी में अपना सुख तलाश करने का प्रयास करें, इससे आप कभी अकेलापन महसूस नहीं करेंगे. खुश रहेंगे तो दूसरों को भी खुशियां दे पाएंगे.
अच्छा स्वास्थ सुखमय जीवन की निशानी
अच्छा स्वास्थ मानव जीवन की पूंजी है. दैनिक व्यायाम, संतुलित आहार एक स्वस्थ और सुखी जीवन का राज है. चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति स्वस्थ नहीं है वह जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता, उसकी जिंदगी संघर्षों से भरी होती है, इसी स्ट्रगल में वह सुख भोग नहीं पाता. एक मशहूर कहावत है स्वास्थ ही धन है.
खुद पर विश्वास से हल होगी हर समस्या
आत्मविश्वास एक ऐसा गुण है, जिसकी मदद से बड़े-बड़े काम आसानी से किए जा सकते हैं. खुद पर विश्वास होगा तो असफलता का डर कभी नहीं सताएगा. अपने कर्म और ईमानदारी पर विश्वास करें. अगर कोई व्यक्ति परेशानी खत्म होने के इंतजान में बैठा रहेगा तो उसकी जिंदगी ठहरे हुए पानी की तरह हो जाएगी जिसे सड़ने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. अपने पर विश्वास करें, मुश्किलों से कैसे निकला जाए उसपर सोच विचार करें.
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चाणक्य नीति की इन बातों का रखें ध्यान (Chanakya Niti)
न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।
कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य बताते हैं कि कुमित्र पर विश्वास नहीं करना चाहिए, लेकिन मित्र पर भी आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि वह क्रोधित होकर आपकी गुप्त बातों को उजागर कर सकता है। इसलिए अपनी गुप्त बातों को हमेशा छिपाकर रखना चाहिए और अधिक लोगों के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्।
मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्य चापि नियोजयेत् ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक में आचार्य चाणक्य बताते हैं कि मन में सोचे हुए कार्य को मुंह से बाहर नहीं निकालना चाहिए।
इसे हमेशा मंत्र के समान गुप्त रखकर, उसकी रक्षा करनी चाहिए।
साथ ही इस पर काम करते समय अधिक लोगों को इसका पता नहीं होना चाहिए।
ऐसे किया गया कार्य ही मनुष्य को सफल बनाती है।