महासमुंद/बागबाहरा। छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को लेकर सरकार के बड़े-बड़े दावों की पोल एक बार फिर खुल गई है। धान खरीदी केंद्रों की अव्यवस्था, टोकन कटने में हो रही दिक्कत और खराब ऑनलाइन व्यवस्था ने किसानों को हद से ज्यादा परेशान कर दिया है। इसी कड़ी में महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत बोडरीदादर (सेनभांठा) के किसान मनबोध गांडा ने टोकन नहीं कट पाने की निराशा में अपने गले पर ब्लेड से हमला कर आत्महत्या का प्रयास किया।
🚨 घटना के समय किसान था बेहद परेशान
ग्रामीणों के अनुसार मनबोध गांडा कई दिनों से धान बेचने के लिए टोकन कटाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पोर्टल में लगातार त्रुटियां, सर्वर डाउन और केंद्रों में हो रही अनियमितताओं के कारण वह टोकन नहीं कटवा पाया।
आज फिर प्रयास विफल होने के बाद किसान मानसिक रूप से टूट गया और आवेश में आकर अपने गले पर ब्लेड से वार कर लिया।
घटना के तुरंत बाद ग्रामीणों ने 112 को सूचना दी। पुलिस व ग्रामीणों की मदद से किसान को गंभीर हालत में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बागबाहरा भेजा गया, जहां उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है।
🔍 किसानों पर भारी पड़ रही धान खरीदी की “डिजिटल प्रक्रिया”
प्रदेश सरकार दावा करती है कि—
धान खरीदी सुचारू है
टोकन सिस्टम पारदर्शी है
किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं
लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है:
✔ सर्वर लगातार डाउन
✔ घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद भी टोकन नहीं
✔ ऑनलाइन पोर्टल में तकनीकी खराबी
✔ समितियों में अव्यवस्था और अफसरों की लापरवाही
इन्हीं समस्याओं के चलते किसान अब हताश होने लगे हैं।
⚠️ सरकार के दावों की पोल खुली
सरकार कहती है—
“किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही”
लेकिन वास्तविकता यह है कि टोकन न कटने जैसी छोटी समस्या भी किसानों को आत्मघाती कदम उठाने मजबूर कर रही है।
किसानों का कहना है कि—
“सर्वर बैठा रहता है, समिति वाले जवाब नहीं देते, सरकार केवल विज्ञापन में खरीदी दिखाती है… जमीन पर कुछ नहीं।”
🗣️ ग्रामीणों और किसान नेताओं की मांग
टोकन सिस्टम को तुरंत सुधारने
खरीदी केंद्रों में पारदर्शिता लाने
जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने
पीड़ित किसान के परिवार को आर्थिक सहायता देने
धान खरीदी की अव्यवस्था अब किसानों की जान पर बन आई है। मनबोध गांडा का यह कदम एक बड़ा सवाल है—
क्या टोकन नहीं मिलने से किसान की जान चली जाए, तब सरकार जागेगी?





