रायपुर। बालोद जिले के वनांचल गांव खल्लारी के रहने वाले दुष्यंत कुमार (26) का चयन डीएसपी (DSP) के लिए हुआ है। उसने पीएससी PAC में सफलता पाई है। दुष्यंत (dushyant) ने लगातार तीसरी बार PSC की परीक्षा दिलाई और तीनों में सफल रहा। पहली कामयाबी में उसे ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी का पद मिला था। वहीं दूसरी बार में उसे कोषालय में सहायक लेखा अधिकारी के पद पर पदस्थापना मिली। वहीं तीसरी बार में उसका चयन DSP के लिए हुआ है।
दुष्यंत (dushyant) की बहन योगेश्वरी ने बताया कि स्कूल टाइम से उसका भाई होनहार रहा है। स्कूल-कॉलेज में टॉप किया। उसका PSC में ओवरऑल रैंक 160 आया है। इस तरह उसने बालोद का मान बढ़ाया है। दुष्यंत ने बताया कि वो ऐसे क्षेत्र से है जहां 12वीं के बाद क्या करना है यह बताने वाला भी कोई नहीं है।
पिता हैं गांव के कोटवार
2 बहन के एक भाई दुष्यंत (dushyant) PSC में DSP पद पाने वाले इकलौते युवक हैं। पूरे परिवार को उस पर गर्व है। साथ ही उनके पिता रेवत राम कोटवार हैं। मां कुंती बाई गृहणी हैं वहीं उनके दो बहनें योगेश्वरी टांडिया BSC के बाद PSC की तैयारी कर रही है। रेशमा टांडिया एमए की पढ़ाई कर रही है।
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वर्तमान में कोषालय में पदस्थ हैं दुष्यंत
दुष्यंत (dushyant) वर्तमान में कांकेर जिले के चारामा के कोषालय विभाग में सहायक लेखा अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। ढाई साल से वो चारामा में कार्यरत है। कार्यस्थल में रहते-रहते उसने पीएससी की तैयारी की। ना किसी कोचिंग का सहारा लिया ना किसी अन्य निजी संस्थानों का और निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे।
कोटवार का बेटा DSP में चयनित
दुष्यंत (dushyant) के नाना कीर्तन लाल ने बताया कि जब रिजल्ट आया तब मैं सो रहा था पोता आया और गले से लगा लिया और रिजल्ट के बारे में बताया। उन्होंने कहा एक कोटवार का बेटा आज DSP में चयनित हुआ है इससे बेहतर और क्या हो सकता है सब मेहनत का परिणाम है।
MA गोल्ड मेडलिस्ट
दुष्यंत (dushyant) ने गणित विषय लेकर 12वीं बोर्ड एग्जाम क्लियर किया, जिसके बाद बीएससी की पढ़ाई दुर्ग साइंस कॉलेज में गणित विषय लेकर की। बाद में उसने राजनीति शास्त्र लेकर एमए की पढ़ाई की जिसमें उसे गोल्ड मेडल भी हासिल हुआ और साथ-साथ उसने सीजी पीएससी की तैयारी भी की जिसमें उसे लगातार सफलता हासिल हुई।
बेटे की बदौलत सुधरी आर्थिक स्थिति
मां कुंती बाई ने बताया कि एक साथ तीन बच्चों को पढ़ाना काफी कठिन था हमने अपनी खर्चों में कमी की फिर बच्चों को पढ़ाया। पति कोटवार हैं और थोड़ी सी खेती इन सब में आर्थिक समस्याएं भी आईं पर हमने बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता दिया और आज हमारी स्थिति थोड़ी बहुत सुधरी है वो हमारे बेटे दुष्यंत की वजह से है। सभी बच्चे हॉस्टल में रहते हैं।
दुष्यंत (dushyant) का एक लक्ष्य है कि वह देश एवं राज्य की सेवा करना चाहता है वो खुद ऐसे क्षेत्र से आता है जो की वनांचल बाहुल्य आदिवासी आरक्षित क्षेत्र है। बावजूद इसके दुष्यंत ने सफलता का झंडा गाड़ दिया। उसकी मां का कहना है पूरे परिवार का का मान मेरे बेटे ने बढ़ाया है। हम कभी सोचे नहीं थे पर आज हमारे बेटे ने सब संभव कर दिखाया है।
बहनें ले रही प्रेरणा
दुष्यंत (dushyant) की बहनों ने बताया कि हम अपने भाई से काफी प्रेरणा लेते हैं। वह ड्यूटी भी करते हैं सोकर जल्दी उठ कर पढ़ाई करते हैं फिर रोज ड्यूटी जाते हैं। आकर फिर से पढ़ाई करते हैं। इस तरह उनका टाइम मैनेजमेंट भी बहुत अच्छा है। सभी को सीखना चाहिए कि निरंतर आगे बढ़ना है तो समय का प्रबंधन बहुत जरूरी है तभी जाकर जीवन में सफलता हाथ लगती है।