बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 1986 के एक पुराने भ्रष्टाचार मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। एमपीएसआरटीसी के बिल असिस्टेंट रहे जागेश्वर प्रसाद अवस्थी को हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी के चलते बरी कर दिया।
1986 से चल रहा था केस
मामला 1986 का है, जब अवस्थी पर निगम कर्मचारी अशोक कुमार वर्मा से बकाया वेतन का बिल पास करने के लिए 100 रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगा था। लोकायुक्त टीम ने जाल बिछाकर उन्हें रंगे हाथ पकड़ने का दावा किया था। इसके आधार पर ट्रायल कोर्ट ने 2004 में अवस्थी को एक साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी।


गवाहों के बयानों में विरोधाभास
हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई में पाया कि गवाहों के बयानों में भारी विरोधाभास है। कहीं 100 रुपए के एक नोट का जिक्र था, तो कहीं दो पचास-पचास के नोट का। साथ ही ट्रैप टीम भी दूरी पर खड़ी थी, जिसने लेन-देन या बातचीत को प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा।
केवल नोटों की बरामदगी से साबित नहीं होता अपराध
हाईकोर्ट ने कहा कि केवल नोटों की बरामदगी से भ्रष्टाचार का अपराध साबित नहीं किया जा सकता। जब तक रिश्वत की मांग और स्वीकृति के ठोस सबूत न हों, तब तक दोष सिद्ध नहीं माना जा सकता। इसी आधार पर कोर्ट ने अवस्थी को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।
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