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फिल्मी स्टाइल में रांची पहुंचे CM सोरेन, आज गिरफ्तार हुए तो क्या होगा?

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Hemant Soren: 48 घंटे तक ‘अंडरग्राउंड’ समझे जा रहे झारखंड के CM  हेमंत सोरेन अचानक रांची में दिखाई दे दिए. हां, ED की टीम उन्हें दिल्ली में ढूंढ रही थी. दो दिनों तक मीडिया के कैमरे यहां- वहां भागते रहे. कहां हैं CM सोरेन? सवाल उठने लगे थे कि झारखंड के सीएम कहां गायब हो गए हैं?

उनका दिल्ली पहुंचना सबको पता था लेकिन उसके बाद क्या हुआ, किसी ने नहीं देखा. अब इसे चकमा देना कहेंगे या कुछ और पता नहीं. ED उन्हें पूछताछ के लिए समन कर रही थी. दो दिन पहले दिल्ली वाले घर पर ईडी के अधिकारी अचानक पहुंचे लेकिन सोरेन नहीं मिले. एयरपोर्ट पर भी गहमागहमी थी. आखिर सोरेन दिल्ली से रांची पहुंचे कैसे? यह सब फिल्मी स्टाइल में हुआ.

पता चला है कि CM सोरेन दिल्ली से रांची सड़क के रास्ते गए हैं. जी हां, 1295 किमी की दूरी उन्होंने कार से तय की. जिस समय ED की टीम उन्हें दिल्ली में तलाश रही थी वह चुपके से राजधानी से निकल चुके थे. मंगलवार को वह देर रात तक अपने विधायकों के साथ बैठक करते रहे. रांची में उनके चेहरे पर दिखा आत्मविश्वास इस बात का प्रमाण दे रहा था कि सीएम ने आगे की रणनीति बना ली है.

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‘कोरे कागज’ पर हो गया साइन

इधर, झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों ने बिना नाम वाले समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. मंगलवार शाम सहयोगी दलों के विधायकों ने बैठक कर हेमंत सोरेन सरकार के प्रति एकजुटता व्यक्त की. मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन को कमान सौंपे जाने की अटकलों के बीच इन विधायकों ने बिना किसी के नाम वाले समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. कल्पना सोरेन विधायक नहीं हैं फिर भी वह विधायकों की बैठक में शामिल हुई हैं.

काफी समय से कहा जा रहा था कि सोरेन पर ईडी का शिकंजा कसा तो वह पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री पद सौंप सकते हैं. जैसा बिहार में लालू यादव ने किया था.

फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा और गठबंधन के विधायकों को रांची में ही रहने के लिए कहा गया है.

अगले 24 घंटे में काफी कुछ साफ हो जाएगा. आज दोपहर एक बजे रांची में अपने आवास पर सोरेन जमीन घोटाले के मामले में ​ईडी अधिकारियों के सवालों का जवाब देने वाले हैं. रांची में अतिरिक्त पुलिसबलों की तैनाती के साथ निषेधाज्ञा लागू की गई है.

दिल्ली छापे में क्या मिला?

ED की टीम ने भूमि सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोरेन से पूछताछ के लिए सोमवार को उनके दिल्ली वाले घर पर छापा मारा था और लगभग 13 घंटे तक डेरा डाले रखा. ईडी ने 36 लाख रुपये कैश, एक BMW कार और कुछ दस्तावेज बरामद करने का दावा किया है. वैसे झारखंड के सीएम सोरेन की तरह उनके पिता शिबू सोरेन भी 2004 में गायब हो गए थे. उनका चार दिनों तक पता नहीं चला था. तीन दशक पुराने केस में पुलिस उन्हें दिल्ली और झारखंड में ढूंढती रही थी.

कल जब CM के बारे में पूछा गया तो JMM के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हमने पहले ही कहा था कि CM  निजी काम से दिल्ली गए हैं. काम पूरा होने पर वह रांची लौट आए. पार्टी इस बारे में बिल्कुल चुप है कि सीएम के बारे में किसी को खबर नहीं थी तो वह रांची कैसे आए. हां, भट्टाचार्य ने यह जरूर कहा कि अगर CM कहीं प्लेन से जाते हैं तो प्लेन से ही लौटें, इसकी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है.

तलाश है झारखंड के गुमशुदाCM की…

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बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी

जिन किसी भी सज्जन को यह व्यक्ति दिखें तो, दिए गए पते पर तुरंत सूचित करें।

सही जनकारी देने वाले को 11 हजार रुपये नगद राशि दी जाएगी। pic.twitter.com/9nvFhVQlnl

उधर, बिहार के बाद अब झारखंड में सियासी गर्माहट बढ़ गई है. बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पोस्टर जारी कर लिखा था, ‘तलाश है झारखंड के गुमशुदा मुख्यमंत्री की… जिस किसी भी सज्जन को यह व्यक्ति दिखें तो दिए गए पते पर तुरंत सूचित करें. सही जानकारी देने वाले को 11 हजार रुपये नगद राशि दी जाएगी.’ JMM ने मरांडी और निशिकांत दुबे के खिलाफ मानहानि का केस करने की बात कही है. पार्टी ने यह भी सवाल उठाया है कि जब सीएम ने पहले ही 31 जनवरी को रांची में मौजूद होने की बात कही थी तो ईडी दिल्ली वाले घर पर क्यों आई? सीएम के साथ क्रिमिनल की तरह व्यवहार हो रहा है.

गिरफ्तारी हुई तो क्या होगा?

ED की संभावित गिरफ्तारी से पहले या उसके बाद हेमंत सोरेन इस्तीफा दे सकते हैं. उत्तराधिकारी के तौर पर वह पत्नी कल्पना सोरेन का नाम आगे रख सकते हैं. हां, इसके लिए एक पारिवारिक अड़चन भी थी जिसे शायद दूर कर लिया गया है. उनकी बड़ी भाभी सीता सोरेन और भाई बसंत सोरेन भी विधायक है. ऐसे में पिता की परमिशन कल्पना के सपोर्ट में जरूरी होगी. सोरेन पहले कह चुके हैं कि पत्नी के चुनाव लड़ने की बात बीजेपी की गलत नरैटिव पेश करने की कोशिश है.

महिला मंत्री को सीएम पद दिया जा सकता है,

अगर कल्पना पर पिता राजी नहीं होते हैं तो हो सकता है सीएम अपने पिता को ही सीएम बनने के लिए राजी करें. अगर तीनों विकल्प सफल नहीं हो पाते हैं तो सोरेन किसी वरिष्ठ विधायक को मुख्यमंत्री बना सकते हैं. पत्नी की जगह महिला मंत्री को सीएम पद दिया जा सकता है, जिससे बाद में वह वापस पद हासिल कर सकें. हालांकि नीतीश-मांझी प्रकरण के अनुभव को देखते हुए अब ऐसा करने की संभावना कम ही है. जो भी हो सोरेन के पास हस्ताक्षर वाला ‘कोरा कागज’ तैयार है.

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