छत्तीसगढ़। स्वच्छ भारत और मनरेगा के तहत बनाए गए शौचालय निर्माण में भारी गड़बड़ी हुआ है। प्रदेश के अकेले महासमुंद जिले में शौचालय निर्माण में करोड़ों रुपए की घोटाला हुआ है। मृत व्यक्ति, जो गांव में रहता ही नहीं, कर्मचारियों के नाम पर गरीबी रेखा की सूची में शौचालय बनाई गई है। मनरेगा वेबसाइट में इसका कई उदाहरण देखने को मिल रहा है।
इसके अलावा प्रोत्साहन राशि हितग्राही के खाते में जमा करने के बजाए सीधे सरपंच-सचिव को दे दी गई। जिसके कारण जिले के हजारों हितग्राहियों की प्रोत्साहन राशि हजम कर ली गई। इस मिली-भगत में सरपंच सचिव के साथ जनपद और जिले के जिम्मेदार अफसर भी शामिल हैं। बतादें कि 90 फीसदी पंचायतों ने अपना खुद का एजेंसी बनाया है, जो सीमेंट बेचने से लेकर रेत तक बेच रहे हैं। शौचालय निर्माण को लेेकर साल-भर के भीतर महासमुंद कलेक्टोरेट में 100 से भी अधिक गांवों के लोगों ने शिकायत कर चुका है।
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कलेक्टर के बाद जनपद से शिकायत
04 जुलाई 2018 को खरोरा के हितग्राहियों ने कलेक्टर से शिकायत किए थे। लेकिन
पखवाड़ेभर बाद कार्रवाई और जांच नहीं होते देख ग्रामीण 16 जुलाई 2018 को जनपद पंचायत महासमुंद पहुंचे थे।
हालांकि जब प्रशासन की ओर से जांच नहीं हो रही तो फिर जनपद इस मामले में क्या कर सकता है?
सरपंच के पास खुद का एजेंसी
खरोरा के ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय का निर्माण अपने स्वयं के खर्च किया है।
जिसका प्रोत्साहन राशि का भुगतान पंचायत द्वारा आज तक नहीं किया गया।
सचिव एवं सरपंच के द्वारा इनके बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा है। सच ये है कि हम सभी लोगों प्रोत्साहन राशि पंचायत के सचिव और सरपंच के द्वारा डगार लिया गया है। सभी जानकारी प्रगति रिपोर्ट बिल वाउचर इस आवेदन के संलग्न है। इनमें बिल वाउचर स्वयं सरपंच के ही सूमन ट्रेडर्स के नाम से ही है। जिससे यह प्रतीत होता है कि हम सभी लोग का शौचालय राशि सरपंच और सचिव के मिलीभगत से हड़प कर लिया गया है।
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जनपद बेलसोंडा सदस्य वाणी लक्ष्मीकांत तिवारी के नेतृत्व में भुनेश्वर चंद्राकर, धनसिंग चंद्रा्रकर, श्याम बाई,
खम्मनलाल चंद्राकर, दुर्गेश कुमार, ईश्वर लाल, बलदेव पटेल], कृष्णा कुमार, कौशल कुमार,
कन्हैया लाल चंद्राकर, पंचायत प्रतिनिधि
इसी तरह पूरे जिले के सैकड़ों गांवों में शौचालय निर्माण में भारी लापरवाही बरती गई है। महासमुंद के समीपस्थ गांव खैरा, बरोंडाबाजार, खट्टी, परसठ्ठी, चिंगरौद, बेमचा, बागबाहरा के बकमा, कसेकेरा, नर्रा जैसे पंचायतों में सरपंच सचिव और अफसरों ने मिलकर बंदरबांट किया है।
सरपंच ने कहा मुझे भी समझ नहीं आ रहा
खैरा के सरपंच मनोज चंद्राकर कहां पर गड़बड़ी हुआ है मुझे समझ नहीं आ रहा है। मै खुद 52 शौचालय का निर्माण नरेगा के तहत करवाया लेकिन मुझे समझ नहीं आया कि मुझे कितनी राशि मिली। रोजगार सहायक ने जैसे फार्म भरा था उस आाधर पर पेमेंट हुआ है। नरेगा में जॉब कार्ड चालू नहीं होने से ऐसा हो सकता है।
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