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मृत व्यक्ति के कपड़े समेत इन वस्तुओं का नहीं करना चाहिए उपयोग, जाने इसकी खास वजह

Do not wear the clothes of the dead after death.: आपने कई बार देखा होगा कि किसी की मृत्यु होने पर लोग उस परिवार के लोगों से मृतक के कपड़े नहीं पहनने की बात करते हैं. फिर चाहे वे कपड़े कितने भी नए और नए जमाने के क्यों न हों. आखिर ऐसा कहने के पीछे क्या वजह होती है. (Do not wear the clothes of the dead after death.) क्या इसके पीछे आत्मा के पारलौकिक गमन से जुड़ी कोई बात होती है या फिर कोई वैज्ञानिक वजह होती है. यकीन यह सवाल आपके मन में भी कई बार घुमड़ता होगा लेकिन आज हम ठोस तथ्यों के साथ इस राज से पर्दा उठाने जा रहे हैं.

‘मृत्यु के बाद मृतक के कपड़े न पहनें’

प्रख्यात धर्मगुरु जग्गी वासुदेव कहते हैं कि जब जब एक बार कोई आत्मा अपने शरीर को त्याग देती है, तब परिवार के लोगों को उस शरीर से जुड़े वस्त्रों और अन्य चीजों को दान कर देना चाहिए या फिर जला देना चाहिए. वे इसकी वजह भी बताते हैं. जग्गी वासुदेव कहते हैं कि शरीर छोड़ चुकी आत्मा अपने कपड़ों (Do not wear the clothes of the dead after death.) की गंध और दूसरी पसंदीदा चीजों के जरिए ही अपने परिवार और अपने घर को पहचानती है. इसलिए उन चीजों को जलाया या दान न किया जाए तो वह आत्मा देहांत के बाद भी अपने परिवार से मोह का त्याग नहीं कर पाती और वहीं आसपास भटकती रहती है. जिसके चलते वह जन्म-मृत्यु के इस चक्र से मुक्त नहीं हो पाती.

परिवार में शुरू हो जाता है अप्रिय घटनाओं का दौर

वे कहते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा एक ऊर्जा के रूप में परिवर्तित हो जाती है. वह ऊर्जा सकारात्मक भी हो सकती है और नकारात्मक भी. अगर वह ऊर्जा नकारात्मक हुई और परिवार के लोग उससे जुड़े कपड़े (Do not wear the clothes of the dead after death.) पहनते हैं तो उसका साया उन पर हावी हो सकता है. जिससे परिवार में अप्रिय घटनाओं का दौर शुरू हो जाता है. जग्गी वासुदेव कहते हैं मृत व्यक्तियों के कपड़ों के अलावा कभी भी उनकी पसंदीदा वस्तुओं पेन, मोबाइल या दूसरी महंगी चीजों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ये चीजें भी घर में नकारात्मकता फैलाती हैं.

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शरीर में प्रवेश कर सकते हैं घातक बैक्टीरिया

वैज्ञानिक भी मृत व्यक्ति के कपड़े (Dead Person Clothes) या अन्य चीजें इस्तेमाल करने से मना करते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उससे पहले इम्यूनिटी कमजोर होने की वजह से वह काफी कमजोर हो चुका होता है. उसके शरीर के अंदर कई बारीक बैक्टीरिया और वायरस प्रवेश कर चुके होते हैं, जिन्हें नंगी आंखों से देखा नहीं जा सकता है. ऐसे में उस व्यक्ति के देहांत के बाद भी वे बैक्टीरिया कपड़ों और अन्य चीजों में बने रहते हैं. जिससे उन्हें धारण करने वाले परिवार के लोग भी बीमारियां का शिकार हो सकते हैं. या उसके शरीर तक पहुंच जाएं इसलिए काफी हद तक सही यही है कि मृत व्यक्ति के कपड़ों का पुन: उपयोग ना किया जाए.

मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है व्यक्ति

वहीं मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति शरीर छोड़कर चला जाता है तो उससे जुड़ी चीजें देखकर घरवाले भावुक रहते हैं. वे जब भी उक्त व्यक्ति के कपड़े (Dead Person Clothes), पैन, मोबाइल या दूसरी चीजें देखते हैं तो उनके अंदर की रुलाइयां फूट पड़ती हैं. इसके चलते वह इंसान अंदर ही अंदर मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है. उसे गुजर चुके व्यक्ति की हर क्षण याद आती रहती है. वे यादें उसे जीवन में आगे नहीं बढ़ने देती. इसलिए मृतक व्यक्ति की चीजों को या तो दान कर देना चाहिए या फिर जला देना चाहिए.

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