Saturday, June 3, 2023
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लाठी चार्ज पर डा. चोपड़ा ने कहा- पुलिस नौटंकी बंद करें, उन्होंने चुनौती देते हुए कहा प्रेस क्लब में आमने-सामने बहस कर ले दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा

महासमुंद. लाठी चार्ज और पुलिस कार्रवाई से आहत विधायक डा. विमल चोपड़ा ने शनिवार को प्रेस वार्ता ली। उन्होंने कहा बीते दिनो मिनीं स्टेडियम के बॉल-बेडमिंटन मैदान एवं थाना परिसर में पुलिस के दमनात्मक एवं क्रूर रवैए की हम कठोर भर्त्सना करते हैं। शराब माफियाओं से पुलिस के बड़े अधिकारियों का गठजोड़ अब पुर्णतः स्पष्ट हो चुका है।

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शराब व सट्टा माफियाओं से मिल रहे अकूत धन और पुलिस के उच्चाधिकारियों के घरों का हो रहा सौंदर्यीकरण शराब माफियाओं की कृपा से हो रहा है। शराब व सट्टा माफिया छोटे कोचियों से वसूली कर बड़े अधिकारियों को मोटी रकम पहुंचा रहे हैं। शराब सट्टा माफिया एवं पुलिस अधिकारियों के बीच आपसी संबोधन में डॉन परंपरा के भाई शब्द का प्रयोग होता है।

सबसे नीचे देखिए:  वीडियो जिसमें विधायक ने पत्रकारों से क्या कहा 

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पुलिस कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

उन्होंने कहा कि पुलिस की उच्चाधिकारी अपने घरों में कितने शासकीय सेवकों को रखते हैं एवं क्या काम करते है वे कहा पर पोस्ट है, तो आश्चर्यजनक जानकारियां निकलकर सामने आएगी। बस्तर में पोस्टेड लोग यहां घरों में काम कर रहें है। पुलिस के उच्चाधिकारी की इनोवा कार किराए पर दर्शाई गयी है वह किसकी है यहां जांच का गंभीर विषय है।

25 नहीं 50 प्रकरण बनाए चिंता नहीं है

डा. चोपड़ा ने  एस.पी. ने जानकारी दी की मेरे विरूद्व 25 प्रकरण दर्ज है, जिनमें 14 वेंडिग है और ज्यादातर शासकीय कार्यलायों में अमले के साथ विवाद है। इससे मेरा कोई इंकार नहीं शायद एसपी एक दो मामले भूल रहे होंगे तो मेरे से जानकारी ले लेंगे। शासकीय कार्यालयों की कार्यप्रणाली को लेकर कोई भी बात छूपी नहीं है। कलेक्टोरेट एवं विभिन्न थानों में पैसे के बोलबाले एवं अफसरशाही से हर कोई परिचित है।

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नपुंसक नेता इनकी दलाली करते हैं और योद्वा जनता के हित के लिए लड़ती है। सिरपुर मुआवजा, गाड़ीवान युनियन संघर्ष, शराब माफियाओं के विरूद्व संघर्ष, ओवरब्रिज निर्माण के लिए कलेक्टर का घेराव आदि मामलों को लेकर 25 क्या 50 प्रकरण बने कोई चिंता का विषय नहीं है। पुलिस से नहीं न्यायपालिका से न्याय पर विश्वास है। यदि गुप्ता फल वाले को पुलिस थाने ले जाकर गिरफ्तार करती तो क्या मै घर में बैठे रहूं।

छात्रों के कहने पर क्यो नहीं हुई एफआईआर

मिनी स्टेडियम में अंकित लुनिया के विरूद्व जो रिपोर्ट की गई है उस पर हमें कोई शिकायत नहीं उसकी निष्पक्ष जांच हो। लेकिन अंकित लुनिया के साथ समीर डुंगडुंग ने मैदान में जो मारपीट की जिसे दूसरा पक्ष भी वीडियो में स्वीकार कर रहा है, इस पर एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई? क्या कानून में एस.आई. डुंगडुंग के लिए विशेष प्रावधान है? सीएसपी. उदय किरण चिल्ला-चिल्ला कर थाने में कह रहे हैं, कोई एफआईआर नहीं होगी।

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उसके बाद रह क्या जाता है? खिलाड़ी लड़कियां उन्हें कह रहीं है उनके साथ छेड़छाड़ की गई तो उनकी एफ.आई.आर. न कर कम्पलेन देने कहा जाता है एवं दूसरे पक्ष के लोगों के प्रार्थी के बजाय बाहरी लोगों की बात पर उन्हें सीधें एफ.आई.आर. के लिए कहा जाता है।

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शराब माफियाओं के साथ मिलीभगत

पूरा मामला सर्वाच्च न्यायालय के उस निर्देश की अवमानना को लेकर था जिसमें पुलिस को सीधे एफआईआर के निर्देश हैं। शराब माफियाओं को निर्देशित कर योजनाबद्व तरीके से थाने बुलाया गया थाने के भीतर और बाहर उनको पुलिस के पक्ष में नारेबाजी कराई गई, उनकी बात को अकेले में शांति से सुना गया और एफआईआर तत्काल दर्ज की गई। लाठीचार्ज के पूर्व उन्हें वहां से हटा दिया गया और बाद में फिर लाकर प्रकरण तत्काल पंजीबद्व किया गया। इस पूरे घटनाक्रम से शराब माफियाओं और पुलिस प्रशासन का गठजोड़ स्पष्ट होता है।

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थाने में लगे सीसी टीवी फुटेज किया जाए सार्वजनिक

पुलिस अधिक्षक को मेरी चुनौती है, गलत बयानी और नौटंकी बंद कर प्रेस क्लब में आमने सामने की बहस कर ले दुध का दुध और पानी का पानी हो जायेगा। पत्थरबाजी के एक भी घटना को एस.पी. बता दे मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा। शांतिपुर्वक बैठे लोगों पर बर्बर लाठीचार्ज के बाद अपनी चमड़ी बचाने के लिए पूरा प्रशासन एक है। थानें में लगे सीसीटी व्ही. फुटेज का शहर में सार्वजनिक प्रदर्शन होना चाहिए, ताकि जनता को सही बात पता लग सके।

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एसपी का यह कहना हमने कोई शिकायत नहीं की तो हम लोग थाने क्यों गए थे। एफआईआर दर्ज कराने गए थे। मेरे ऊपर आरोप लगाया गया कि, मैं अंकित लुनिया को भगाकर ले गया जबकि मैं तो लाठीचार्ज के बाद भी थाने में था तो उसे भगाकर कैसे ले जाऊंगा?

Vidio 

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