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CG शराब घोटाला में EDकी ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी, अब IAS निरंजन दास को भेजा समन

रायपुर। छत्तीसगढ शराब घोटाला में ED ने IAS निरंजन दास को पूछताछ के लिए समन भेजा है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में हुए 2000 करोड़ रुपए के कथित शराब घोटाला मामले में ईडी गिरफ्त में चल रहे अभियुक्तों को आज ED विशेष अदालत में पेश किया. ईडी ने कारोबारी अनवर ढेबर, नितेश पुरोहित, त्रिलोक सिंह ढिल्लन उर्फ पप्पू ढिल्लन और आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी की 4 दिन की रिमांड अवधि पूरी होने के बाद विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की कोर्ट में पेश किया है.

ED के अधिकारी अनवर ढेबर, नितेश पुरोहित, पप्पू ढिल्लन और CSMCL के पूर्व एमडी एपी त्रिपाठी से लगातार शराब घोटाले मामले में पूछताछ कर रहे हैं. हर रोज ईडी अभियुक्तों से 14 से 18 घंटे पूछताछ कर रही है. ED रिमांड पर चल रहे रायपुर महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. यह सुनवाई 16 मई को होनी थी. लेकिन जमानत याचिका पर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी गई है. अब 29 मई को जमानत याचिका पर सुनवाई होगी.

जानें क्या है शराब घोटाला

– ED ने एक प्रेस रिलीज जारी कर इस पूरे घोटाले (liquor scam) की जानकारी दी है. ED का दावा है कि 2019 से 2022 के बीच ‘अकूत भ्रष्टाचार’ हुआ, जिसमें दो हजार करोड़ रुपये की ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ के सबूत मिले हैं.

– ईडी ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई जांच में पता चला है कि अनवर ढेबर छत्तीसगढ़ में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट चला रहा है और उसे बड़े-बड़े राजनेताओं और सीनियर अफसरों का सपोर्ट हासिल है.

– ईडी का दावा है कि अनवर ने एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया है, जिससे छत्तीसगढ़ में बेचे जाने वाली शराब की हर बोतल पर अवैध वसूली की जाती है.

कैसे किया ये सारा खेल?

– छत्तीसगढ़ में शराब का सारा कारोबार राज्य सरकार ही चलाती है. यहां 800 शराब की दुकानें हैं, जिन पर सरकार का नियंत्रण है. यहां प्राइवेट शराब की दुकानें खोलने की इजाजत नहीं है.

– राज्य में बिकने वाली शराब का स्टॉक छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) करता है. साथ ही शराब दुकान चलाने, बोतल बनाने और कैश कलेक्शन जैसे काम में लगने वाले लोगों के लिए भी टेंडर जारी करता है.

– ED का कहना है कि अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर अनवर ढेबर CSMCL के कमिश्नर और एमडी का करीबी बना. उनकी मदद से CSMCL में विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह जैसे अपने करीबियों को नौकरी दिलवाई. इस तरह से उसने छत्तीसगढ़ के शराब कारोबार की पूरी प्रक्रिया पर कब्जा कर लिया.

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ऐसे किया उसने पूरा खेल…

पहला तरीका: 75-150 रुपये का कमीशन

– ED के मुताबिक, CSMCL जो शराब खरीद रही थी, उसके सप्लायर्स से ये सिंडिकेट हर बोतल पर 75 से 150 रुपये का कमीशन वसूल रहा था. ये कमीशन शराब की क्वालिटी और उसके प्रकार के हिसाब से तय किया जाता था.

दूसरा तरीका: कच्ची शराब से उगाही

– ED का कहना है कि अनवर ढेबर ने अपने लोगों के साथ मिलकर बेहिसाब तरीके से कच्ची शराब बनाई और उन्हें सरकारी दुकानों के जरिए बेचा.

– कच्ची शराब की ये बिक्री का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया. से सारी बिक्री नकद में हुई. इसका एक रुपये भी सरकारी खजाने में जमा नहीं किया गया और सारी रकम सिंडिकेट की जेब में गई.

– ED की जांच में ये भी सामने आया है कि 2019 से 2022 के बीच राज्य में 30 से 40 फीसदी अवैध शराब की बिक्री भी की गई. इससे 1200 से 1500 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया गया.

तीसरा तरीकाः सालाना कमीशन

– इसके अलावा एक सालाना कमीशन भी होता था, जिसका भुगतान डिस्टिलर्स को डिस्टिलरी लाइसेंस हासिल करने और CSMCL की बाजार खरीद में एक तय हिस्सेदारी लेने में किया जाता था.

– डिस्टिलर्स उन्हें आवंटित मार्केट शेयर के हिसाब से रिश्वत देते थे. इसी अनुपात में CSMCL खरीदारी करती थी.

– इतना ही नहीं, विदेशी शराब की सप्लाई करने वालों से भी कमीशन लिया जाता था. विदेशी शराब बेचने का लाइसेंस अनवर ढेबर के करीबियों के पास था.

सबको बंट रहा था पैसा

– ED का कहना है कि चार साल में पूरे दो हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया. ये पैसा सिर्फ अनवर ढेबर के पास नहीं गया था.

– बल्कि उसने अपना हिस्सा रखने के बाद अपने करीबियों तक भी पहुंचाया. इसमें बड़े-बड़े नेता और सीनियर अफसर शामिल हैं.

जानें क्या-क्या हैं आरोप?

– ईडी ने बताया कि 2017 में शराब की खरीद और बिक्री के लिए CSMCL बनाई गई थी. लेकिन सरकार बदलने के साथ ही ये सिंडिकेट के हाथ का एक टूल बन गई.

– आरोप है कि CSMCL से जुड़े कामों के लिए सारे कॉन्ट्रैक्ट इस सिंडिकेट से जुड़े लोगों को ही दिए जा रहे थे. ED का दावा है कि सिंडिकेट ने अवैध शराब की बिक्री से ‘बड़ा कमीशन’ कमाया, ये रकम अनवर ढेबर को दी गई और फिर उसने इसे राजनीतिक पार्टी तक साझा किया.

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