रायपुर। कांग्रेस सरकार द्वारा किए जा रहे दनादन तबादला को भाजपा ने ‘’ट्रांसर्फर उद्योग” का नाम दिया है। भाजपा की ओर से कहा गया कि ट्रांसफर के आड़ में भारी लेन-देन हो रही है? भाजपा द्वारा लगाए जा रहे आरोप पर सरकार मौन थी? लेकिन, वर्तमान में जिस तरह सरकार में घमासान मची है, उसे देखकर यह नहीं लग रहा कि जो बात भाजपा ने कही है वह अतिशियोक्ति है।
शिक्षकों के तबादला में गड़बड़ी को लेकर सीएम के सामने विधायकों का गुस्सा फूटा था। हालाकिं इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संज्ञान लिया है। विधायकों ने सीएम से साफ कहा कि ट्रांसफर में धांधली हुई है। जानकारी के अनुसार विधायकों को सीएम ने आश्वस्त भी किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने विधायकों ने शिक्षा मंत्री के OSD की भी खुलकर शिकायत की। आरोप लगाया कि उनकी तरफ से जो सूची दी गई थी, उसे रद्दी की टोकरी में फेंक दी गई, और पैसे लेकर मनचाहे तबादला कर दिया गया।
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दरअसल तबादले के पूरे प्रकरण में शिक्षा मंत्री के ओएसडी राजेश सिंह की भूमिका पर नेताओं ने सवाल खड़े किए हैं। राजेश सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने किसी की भी सूची को तवज्जो नहीं दी, बल्कि अपने मनचाहे तरीके से लिस्ट को तैयार कराया और मंत्री से अनुमोदित करा दिया। दिलचस्प तो यह रही की राज्य स्तरीय तबादले में प्रभारी मंत्री की अनुशंसा को भी अंगूठा दिखा दिया गया। जानकारी के अनुसार विधायकों के शिकायत के बाद शिक्षा विभाग के ट्रांसफर में गड़बड़ी के मामले में शिक्षा मंत्री ने गड़बड़ी से संबंधित फाइल मंगवाई है।
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शिक्षकों के तबादला में गड़बड़ी को ऐसे जाने:
22 अगस्त को शिक्षा विभाग की ओर से जारी तबादला लिस्ट में 4 प्रमुख गड़बड़ियां का खुलासा हुआ था।
पहला राज्य स्तर की ट्रांसफर लिस्ट में शिक्षकों का ट्रांसफर जिला से जिला ही हुआ है, जबकि जिला स्तर की ट्रांसफर लिस्ट पहले ही निकाली जा चुकी है।
दूसरी गड़बड़ी यह रही कि लिस्ट में दर्जनों शिक्षकों के पदनाम का जिक्र नहीं किया गया है।
तीसरी गड़बड़ी शिक्षक पंचायत अर्थात जिनका अब तक संविलियन नहीं हुआ और वह पंचायत विभाग के तहत हैं। ऐसे शिक्षकों का ट्रांसफर का नाम भी ट्रांसफर लिस्ट में देखा गया। जबकि डीपीआई ने साफ कह दिया था कि पंचायत शिक्षक ट्रांसफर के लिए आवेदन न करें।
चौथी गड़बड़ी में एक ही शिक्षक का तबादला कई जगहों पर किया गया है। इस तरह ट्रांसफर लिस्ट पूरी तरह शक के दायरे में है।
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