बारनवापारा। संजोरी बिजरी एवं ज्योति पूंज परमशक्ति पंच बुढ़ादेव पूजा का कार्यक्रम ग्राम पाड़ादाह में हुआ।
- जय सिंघा ध्रुवा सेवा समिति के तत्वावधान में बैसाख पूर्णिमा पर गोंडी धर्म-संस्कृति प्रवर्तक मंगतू जगत ध्रुवा के निवास में यह कार्यक्रम गोंडी रीति-रिवाज एवं पारंपरिक रूप से हुआ।
- इस अवसर पर गोंडीजन बडी़ संख्या में पूजन कार्यक्रम में शरीक होकर देवी-देताओं को नए बांस से निर्मित टोकरी में धान अर्पित किया और अच्छी फसल के लिए मत्था टेक कामना की।
बोनी के पूर्व चढ़ावे की मान्यता
- इस पारंपरिक पूजा-विधान से ऐसी मान्यता रही है कि खरीब फसल की बोनी से पहले ईष्ट देवी-देवताओं को चढ़ावे से फसलों इत्यादि रोग-व्याधि मुक्त होने से पैदावार अच्छी होती है।
- उच्च गुणवत्ता के नवीन बीज की भी प्राप्ति होती है। यह एक प्रकृति पूजा की सतत प्रक्रिया है।
- प्रकृति धर्म पालन करते हुए यह समाज आज भी इस पूजा पाठ का पारंपरिक रूप से निरंतर निर्वहन करते रहे हैं।
- इसके अलावा गांवों में आज भी ऐसी ही परंपराओं के पालन में अक्ति त्योहार (अक्षय तृतीया ) के दिन भी गांव स्थित देवस्थान में पलाश पड़े के पत्तों का दोना बनाकर धान व महुआ फूल चढा़कर पूजा-पाठ किया जाता है।
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