ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के रिकार्ड रूम में लगी आग, साहब ने कहा कोई बात नहीं थी वहां पुराना रिकार्ड
महासमुंद . रविवार की सुबह जिला पंचायत परिसर में स्थित ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के रिकार्ड रूम में आग लग गई। अभी तक आग कैसे लगी खुलासा नहीं हो पाया है। हालांकि यहां मनरेगा के तहत 2008 -09 में करीब 5 करोड़ की भ्रष्ट्राचार हुई थी, उसका फाइल मौजूद था।विभाग के अफसर ने कहा कोई बात नहीं रिकार्ड पुरानी है इसलिए चिंता की बात नहीं है। बताया गया कि रिकार्ड रूम में 2008 से 2012 तक यहां रिकार्ड मौजूद था।
जानिए इस दौरान कौन अफसर थे मौजूद
- 2008 में केके किंडो
- 2009 में एचडी पटेल
- 2010 में केके किंडो
- 2010 से 2014 तक डीके जोध
इस दौरान यहां मनरेगा के तहत करोड़ों रुपए के घोटाले का भी पर्दाफाश हुआ था।
जानिए कैसे हुआ था घोटाला
- मनरेगा में पांच करोड़ से अधिक के घोटाला का मामला सामने आया था। जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी का खुलासा किया गया था और इसमें वन और ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के अफसरों की संलिप्तता बताई गई थी। घोटाले की पुष्टि पर राज्य शासन ने रेंजर, आरईएस के उप अभियंता और सहायक अभियंता पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।
- जिला पंचायत में एफआईआर दर्ज कराने से संबंधित फाइल को ढाई साल से दबाकर रखा गया है। घोटाला करने वाले तीन अफसर अब पुलिस कस्टडी से बाहर हैं। 2007-08 और 2009 के बीच मनरेगा के तहत वन विभाग और आरईएस ने मिलकर काम कराए थे। इन निर्माण कार्यों में अफसरों ने जमकर भ्रष्टाचार किया।
- घोटाले के मामले को पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर ने विधानसभा में उठाया था। कार्रवाई नहीं होने पर शिकायत दिल्ली तक पहुंची। जांच के लिए टीम पहुंची और कार्यों का निरीक्षण किया गया। जांच में आर्थिक अनियमितता के साथ झूठे दस्तावेजों के सहारे अफसरों के गबन की पुष्टि हुई थी।
इन कार्यों में बरती गई अनियमितता
- जिले के सभी ब्लाक में मनरेगा के तहत 40 करोड़ रुपए से अधिक के काम कराए गए थे। रतनजोत पौधरोपण, स्टापडैम, वनों की सुरक्षा संवर्धन, पॉलीथिन बैग में पौधा तैयारी, सड़क व पुलिया निर्माण आदि सैकड़ों काम कराए गए थे।
712 प्रकरणों की जांच में 99 गड़बड़ियां
- दिल्ली की टीम ने जंगल, गांव और पहुंचविहीन क्षेत्रों में जाकर निर्माण कार्यों की जांच की। 712 निर्माण कार्यों में से 99 कामों में गड़बड़ी पाई गई। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय के उप सचिव धनंजय देवांगन ने जनवरी 2012 को (पत्र क्रमांक एफ 1-376/पं.ग्रा.वि.वि/22/2012) कार्रवाई संबंधी आदेश की कॉपी कलेक्टर को भेजी गई थी।
अब तक अधर में है कार्रवाई
- अनियमितता से जुड़े दस्तावेज दिल्ली की टीम ने प्रशासन को सौंपें थे। 21 सितंबर 2009 को जावक क्रमांक-6611/एमजी नरेगा/कले./2011 को कार्रवाई के लिए शासन को भेजा गया था। शासन ने इसे गंभीरता से लिया और जिम्मेदार वन परिक्षेत्र अधिकारी, आरईएस के मुकेश चंद्राकर व एक अन्य पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी किया गया। इस आशय का पत्र 7 जनवरी 2013 को जिला प्रशासन को मिला, सलिप्त दो अफसरों का नाम भी छिपाए जाने का आरोप भी लगा था।
- कार्यपालन अभियंता भोेला प्रसाद चंद्राकर ने कहा रिकार्ड पुरानी है इसलिए कोई टेंशन नहीं, जांच की जाएगी।