– 35 दिनों से अपने मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और साहयिकाओं को मांगे मनवाने के जनप्रतिनिधि और अफसरों के काटने पड़ रहे चक्कर
छत्तीसगढ़।
अपने मांगों को लेकर 35 दिन से आंदोलन कर रहे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शासन की ओर से आश्वासन मिलने के बजाए बर्खास्तगी जैसे दंड मिला है. लेकिन कार्यकर्ता अपने जिद में अड़े हैं और आंदोलन को लगातार जारी रखे हुए हैं।
- रविवार को एक कार्यक्रम में पहुंचे महासमुंद सांसद चंदूलाल साहू से मुलाकात कार्यकर्ताओं ने किया.
- कार्यकर्ताओं और सांसद के बीच चले बातचीत में सांसद ने मांगों को लेकर मंत्री तक बात पहुंचाने की बात कही.
- सांसद के आश्वासन के बाद कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है.
- वहीं छग सरकार द्वारा बर्खास्तगी को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है.
ये उनकी मांगें
- शासकीय कर्मचारी का दर्जा प्रदान करने की कार्यवाही करें, तब तक कलेक्टर दर पर पारिश्रमिक दिया जाए।
- देश के अन्य राज्यों के समकक्ष 7 हजार रुपए मानदेय दिया जाए
- सेवानिवृत्त होने पर कार्यकर्ता को 10 लाख और सहायिकाओं 5 लाख रुपए प्रदाय किया जाए।
- आंदोलन में बर्खास्त कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को नि:शर्त सेवा में बहाल किया जावे व की गई नियुक्ति को रद्द की जाए.
कम राशि से घर चलाना संभव नहीं
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका कल्याण संघ के पीनिता साहू , सरोज चंद्राकर, दुर्गावती ठाकुर, सीमा चंद्राकर ने सांसद के पास अपने पक्ष रखते हुए कहा है कि हजारों की संख्या में छत्तीसगढ़ राज्य की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका शासन के नेतृत्व में चला रहे विकास अभियान में साथ दे रही है. संगठन द्वारा बजट घोषणा में किए गए बढ़ोत्तरी पर धन्यवाद देती है।
लेकिन, इतने कम बढ़ोत्तरी से कार्यकर्ता-सहायिकाओं में असंतोष व्याप्त है. करीब 5 वर्ष के उपरांत केवल 1000 रुपए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं 5 सौ रुपए सहायिका के लिए बढ़ाया गया है, जो कि न्यायसंगत नहीं है। वर्तमान महंगाई की परिस्थितयों में इतनी कम राशि से घर चलाना संभव नहीं है.
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