नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है, इस फैसले के दायरे में सभी राजनीतिक दल आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राजनैतिक पार्टियों को चुनावी बॉन्ड के ज़रिए मिलनेवाले चंदे पर रोक लगा दी है। Electoral bond के ज़रिए चंदा देनेवालों के नाम, SBI को चुनाव आयोग को देने होंगे और चुनाव आयोग उन नामों की लिस्ट को अपनी website पर साझा करेगा। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को जेएमएम ने ऐतिहासिक बताया है. वहीं जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आज के दिन की तारीख बड़ी है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है. चुनावी बॉन्ड के माध्यम से शुरू हुआ, काले से सफेद के कारनामे पर लगाम लग गयी है।
2014 के बाद पूंजीपतियों की रक्षा में जुटी केंद्र सरकार 2014 के बाद पूंजीपति लोगों की कैसे रक्षा की जाये इसके लिए चुनावी बॉन्ड की शुरुआत की गई, 2014 से पहले नरेंद्र मोदी पूरे देश का भ्रमण कर रहे थे और एक विशेष विमान मिला था। वह विमान एक विशेष समूह ने दिया था. उस समूह का नाम अदानी था. पूर्व वित्त मंत्री ने 2017 में एक कानून बनाया. चुनावी बॉन्ड को इस तरीके से पेश किया गया जैसे कोई क्रांतिकारी कदम है.
SBI को यह चुनावी बॉन्ड जारी करने का काम दिया गया था. और उस बॉन्ड को कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है और किसी भी पार्टी को दे सकता है. इस बॉन्ड पर सभी ने आपत्ति जतायी थी. लेकिन उसके बाद 2018 में इसे जारी कर दिया गया इसे RTI से भी अलग रखा गया. सुप्रीम कोर्ट ने सभी कानूनों को खारिज कर दिया है.
13 मार्च ऐतिहासिक दिन होगा जब देश बेचने और खरीदनेवालों के नाम सामने आयेगा अब सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआइ को तीन सप्ताह के अंदर चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों के नाम जारी करने का निर्देश दिया है. यह सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला है. देश बेचने वाले लोग चुनाव के समय सामने आयेंगे. 13 मार्च ऐतिहासिक दिन होगा जब देश बेचने और खरीदनेवालों के नाम सामने आयेंगे
सुप्रीम कोर्ट का फैसला एतिहासिकः
सीपीआइएम सुप्रीम कोर्ट की ओर से गुरुवार को इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक करार दिया. सीपीआइएम की और से सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को एतिहासिक बताया गया. इस संबंध में सीपीआइएम केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रकाश विप्लव ने कहा कि इस फैसले ने अज्ञात कॉरपोरेट दाताओं द्वारा सत्ताधारी पार्टी का खजाना भरने के लिए बनायी गयी इस योजना को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.
सीपीआइएम ने खुद शुरुआत में घोषित किया था कि पार्टी चुनावी बांड स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि यह योजना भ्रष्टाचार को वैध बनाती है. सीपीआइएम ने अन्य याचिकाकर्ताओं के साथ सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बांड योजना को चुनौती दी थी. यह स्पष्ट है कि इस योजना के खिलाफ दायर याचिका के सभी मुख्य आधारों को फैसले में बरकरार रखा गया है. प्रकाश विप्लव ने कहा कि यह आवश्यक है कि पारदर्शिता, पैसे और चुनाव में बराबरी का मैदान सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक और चुनावी अनुदान के लिए जनवादी सुधारों को सामने लाया जाये।
lok sabha election 2024: इस तारीख को चुनाव , तैयारी शुरू
दुर्ग पार्षद पर 20 रुपए रिश्वत लेने का आरोप, देखें वीडियो
https://www.facebook.com/webmorcha