सिकलसेल दिवस पर परिचर्चा और गोष्ठी का आयोजन
महासमुंद। सिकल सेल दिवस पर आस्था वीमेन संस्था एवं लायनेंस क्लब महासमुंद द्वारा परिचर्चा व गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें सिकल सेल कैसे होता है और इसके कारण क्या है को बारीकी से जाना एवं समझा।
- तारिणी चंद्राकर ने बताया कि सिकलसेल उन रोगों को कहते हैं जो लाल रक्त कोशिका संबंधी विकार हैं।
- जीन के माध्यम से व्यक्ति को विरासत में मिल जाते हैं।
- यह असामान्य जीन से उत्पन्न आनुवांशिक विकार हैं।
- यह रोग माता-पिता से अपने बच्चों से जीन से होता हैं।
- यह संक्रामक नहीं है और व्यक्ति से व्यक्ति इन्फेक्शन द्वारा नहीं फैलता।
कोशिकाओं में होता है असामान्य हीमोग्लोबिन

- निरंजना चंद्राकर ने कहा कि सिकलसेल रोग वाले लोगों में लालरक्त कोशिकाओं में असामान्य हीमोग्लोबिन होता है।
- जिसे सिकल हीमोग्लोबिन कहते हैं।
- लालरक्त कोशिकाओं में पाए जाने वाला प्रोटीन है, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाता है।
- जिनमें सिकल सेल रोग पाया जाता है, उनमें दो असामान्य हीमोग्लोबिन जीन देखे जाते हैं, जो प्रत्येक माता-पिता से आते हैं।
इनमें बीमारी की संभावना
- मधु शर्मा ने बताया कि जब कोई दंपति का बच्चा होता है तो सिकलसेल रोग वाले उस बच्चे की संभावना एक समान होती है।
- दूसरे शब्दों में यदि पहले जन्मजात बच्चे में सिकलसेल रोग होता है तो अभी भी 25 प्रतिशत मौका है कि दूसरे बच्चे में भी बीमारी होगी।
- लड़कों और लड़कियों दोनों को यह रोग हो सकते हैं।
- यदि कोई व्यक्ति जानना चाहता है कि क्या वह एक सिकल हीमोग्लोबिन जीन कैरी करता है, तो एक ब्लड टेस्ट से यह पता लग सकता है।
सिकलसेल का यह है इलाज
- रोशन आरा रिजवी ने कहा कि सिकलसेल एनीमिया का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है।
- विकसित देशों में इसके लिए उपलब्ध हेमटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन एससीडी के लिए एकमात्र इलाज है।
- परिचर्चा के बाद जिला अस्पताल में सिकलसेल जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां डॉ अग्रवाल द्वारा इनकी बारीकियों को समझाया।
- सभी उपस्थित सदस्यों द्वारा सिकलसेल का टेस्ट भी करवाया।
इस अवसर पर मधु शर्मा, शोभा शर्मा, तुलसी ठाकुर, कैलाश पटेल, चन्द्रकला चंद्राकर, सरिता साहू, विनोद रंगारी, तुषार चंद्राकर आदि उपस्थित थे।