महासमुंद। विश्व स्तनपान सप्ताह, प्रत्येक साल के अगस्त माह के पहले सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान एवं कार्य को दृढ़तापूर्वक एक-साथ करने का समर्थन देता है। साथ ही इसका यह उद्देश्य है कि कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना है। इसी तारतम्य में महासमुंद जिले के बागबाहरा वनांचल के ग्राम खम्हरिया सेक्टर में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाई गई। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने शिशुवती माताओं को स्तनपान जीवन की नींव स्तनपान पोषण की नींव के महत्व को पर्यवेक्षक भावना गुप्ता के द्वारा बताया गया।
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आयोजन में सेक्टर की सभी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया
50 शिशुवती माताओं की सक्रिय भागीदारी में स्वस्थ्य लइका जागरुक महतारी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विजयी माताओं और बच्चों को पुरस्कृत किया गया। आयोजन में सचिव धीरज कुमार यादव भी उपस्थित थे। कायकर्ता सरोज चंद्राकर द्वारा प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान कराने के महत्व को बताया गया। सभी कार्यकर्ता ने सतत स्तपपान पर प्रकाश डाला।
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यह भी जानिए
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी भी प्रकार की असुविधाएं ना हो डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के अनुसार नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा युक्त मां का के स्तन का दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है। जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक स्तनपान कराने की अनुशंसा की जाती है।
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शिशु को 6 महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। स्तन में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जब तक बच्चा दूध पीता है तब तक स्तन में दूध पैदा होता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही स्तन से दूध बनना बंद हो जाता है।
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