छत्तीसगढ़। खसरा-रूबैला अभियान एक विशेष अभियान है, जिसका उद्देश्य सीमित समय सीमा में पूरे राज्य में व्यापक आयु वर्ग के सभी बच्चों को खसरा-रूबैला टीके द्वारा प्रतिरक्षित करना है। अभियान अवधि के दौरान खसरा-रूबैला खुराक राज्य में मौजूद 9 महीने से 15 वर्ष की उम्र के सभी बच्चों को दी जायेगी, चाहे पहले उनको टीका लगाया गया हो या न लगाया गया हो। अभियान का लक्ष्य तात्कालिक आधार पर जनसंख्या को खसरा और रूबैला से प्रतिरक्षित करना है, ताकि खसरे के कारण मृत्यु और जन्मजात रूबैला सिन्ड्रोम की संभावनाएं मुख्य रूप से घट जाए।
गरियाबंद प्रशासन ने जारी किया अलर्ट
- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि खसरा-रूबैला के अधिकत्तर मामले 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में देखे गये हैं।
- इसलिए अभियान के दौरान इस वर्ग को लक्ष्य बनाया गया है।
- विभाग के अफसरों ने बताया कि कुपोषित बच्चों का टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा,
- क्योंकि इन बच्चों में डायरिया तथा निमोनिया होने की संभावनाएं ज्यादा होती है।
- बच्चों को खसरा-रूबैला का टीका अभियान के तहत आगामी अगस्त माह में नियत स्थानों पर लगाया जायेगा।
- खसरा-रूबैला रोग से बचाव के लिए चिन्हिंत आयु वर्ग के बच्चों को माता-पिता और अभिभावक टीका जरूर लगवाये।
जानिए क्या है खसरा और रूबैला रोग
खसरा
- यह एक घातक रोग है तथा यह बच्चों में विकलांगता या मृत्यु के प्रमुख कारण में से एक है।
- खसरा अत्यधिक संक्रामक होता है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने एवं छींकने से फैलता है।
- खसरे के कारण बच्चे में प्राणघातक जटिलताओं की संभावना बढ़ जाती है, जैसे निमोनिया, डायरिया और मस्तिष्क का बुखार।
- सामान्य तौर पर चेहरे में गुलाबी लाल चकत्ते, अत्यधिक बुखार, खांसी, नाक बहना और आंखों का लाल होना, खसरे के लक्षण हैं।
रूबैला
- अगर स्त्री को गर्भावस्था के आरंभ में रूबैला संक्रमण होता है, तो जन्मजात रूबैला सिन्ड्रोम विकसित हो जाता है,
- जो भ्रूण और नवजात शिशुओं के लिए गंभीर और घातक साबित हो सकता है।
- प्रांरभिक गर्भावस्था के दौरान रूबैला से संक्रमित माता से जन्मे बच्चे में दीर्घकालिक जन्मजात विसंगतियों से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है।
- इससे आंख, कान, मस्तिष्क प्रभावित होते हैं तथा दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- रूबैला से गर्भवती स्त्री में गर्भपात, अकाल प्रसव और मृत प्रसव की संभावनाएं बढ़ जाती है।