छत्तीसगढ़। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून की ताजा रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि रिकॉर्ड की गई है। विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए वन भूमि के डायवर्सन और जंगलों पर जैविक दबाव के बावजूद राज्य के वन और वृक्ष आवरण में 165 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है, जबकि वर्ष 2015 से 2017 के बीच राज्य में अधिसूचित वन भूमि के बाहर की भूमि पर सघन वृक्षारोपण के फलस्वरूप वृक्षों का आवरण तीन हजार 629 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर तीन हजार 833 वर्ग किलोमीटर हो गया अर्थात इसमें 204 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई।
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कई योजना अंतर्गत लगाए गए पौधे
यह जानकारी मंगलवार को वन विभाग के अधिकारियों ने दी। उन्होंने भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान की हाल ही प्रकाशित रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि राज्य के वन और वृक्ष आवरण का क्षेत्रफल जो वर्ष 2015 में 59 हजार 215 वर्ग किलोमीटर था,
वह वर्ष 2017 में 165 वर्ग किलोमीटर बढ़कर 59 हजार 380 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच गया। वन आवरण की दृष्टि से देश में छत्तीसगढ़ का तीसरा स्थान है।
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अधिकारियों ने बताया कि विभाग द्वारा राज्य कैम्पा निधि, हरित भारत मिशन (ग्रीन इंडिया मिशन) हरियर छत्तीसगढ़ अभियान, हरियाली प्रसार योजना,
राष्ट्रीय बास मिशन, वन विकास अभिकरण और मनरेगा आदि विभिन्न योजनाओं के तहत प्रदेश भर में वन भूमि और गैर वन भूमि पर व्यापक वृक्षारोपण किया गया है।
इसके फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में (अधिसूचित वन क्षेत्रों के बाहर) वृक्षों का हरित आवरण जो वर्ष 2015 में तीन हजार 629 वर्ग किलोमीटर था, वह वर्ष 2017 में बढ़कर तीन हजार 833 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच गया है।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि सड़क, रेल, सिंचाई, बिजली और खनन इत्यादि विकास मूलक परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए राज्य में वर्ष 2015 से 2017 के बीच 85 प्रकरणों में लगभग 45 वर्ग किलोमीटर वन भूमि का डायवर्सन किया गया।
वनों के संरक्षण और प्रबंधन में जनभागीदारी के लिए संयुक्त वन प्रबंधन योजना संचालित की जा रही है।
इसके अंतर्गत गठित वन प्रबंधन समितियों को वनों के रख-रखाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रदेश के वन क्षेत्रों में वृद्धि में इन समितियों के लाखों सदस्यों का भी महत्वपूर्ण योगदान है।