दिलीप शर्मा, महासमुंद/बागबाहरा। जल जीवन मिशन (JJM) के तहत प्रदेश में हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य तेजी से पूरा करने के सरकारी दावों के बीच बागबाहरा ब्लॉक के कई गांवों की वास्तविक स्थिति बिल्कुल अलग तस्वीर पेश कर रही है। ग्राम खुर्सीपार इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन गया है, जहां करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद आज भी अधिकांश ग्रामीण नल से जल की सुविधा से वंचित हैं।
कागजों में मिशन आगे, जमीन पर अधूरा काम
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, ग्राम खुर्सीपार में कुल 180 घर हैं, लेकिन इनमें से केवल 1 घर को ही नल कनेक्शन मिला है। यानी 179 परिवार अभी भी साफ पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
विशेष रूप से यह ध्यान देने योग्य है कि पोर्टल पर दिखाए गए 1 घर तक पानी पहुंचने का दावा भी वास्तविकता से मेल नहीं खाता, क्योंकि बिना पानी टंकी के केवल एक घर में जल सप्लाई दिखाना सरकारी दावों की पोल खोल रहा है।
गांव की कुल आबादी 869 है—
SC : 90
ST : 17
सामान्य वर्ग : 762
इसके बावजूद पूरा गांव सिर्फ 1 हैबिटेशन के अंतर्गत आता है, जहां पेयजल आपूर्ति लगभग नगण्य है।

घरों में प्लेटफॉर्म बने, लेकिन पानी टंकी गायब
गांव में दो साल पहले जल जीवन मिशन के तहत घरों में नल लगाने के लिए प्लेटफॉर्म बना दिए गए, लेकिन पानी टंकी का निर्माण आज तक नहीं हुआ।
स्थानीय लोगों का कहना है कि:
“काम की शुरुआत हुए दो साल हो गए, लेकिन न टंकी बनी, न बोर खनन हुआ। कई जगह सिर्फ पाइप डालकर छोड़ दिया गया।”
गांव में खोदे गए गड्ढे दुर्घटना की आशंका भी बढ़ा रहे हैं।
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भ्रष्टाचार और ठेकेदारों की मनमानी के आरोप
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि:
कई जगह बनाई गई पानी की संरचनाएं लीक हो रही हैं
ठेकेदार मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं
जल जीवन मिशन पोर्टल में गलत जानकारी अपडेट की जाती है
बिना जल सप्लाई शुरू किए सर्टिफिकेट ले लिया गया
इसके अलावा, दो साल बाद भी कार्यस्थल पर सूचना पटल नहीं लगाया गया, जबकि यह एक अनिवार्य प्रक्रिया है।
ग्रामीणों की मांग: काम में तेजी लाए प्रशासन
ग्रामीणों ने विभाग से कहा कि 179 परिवारों तक नलजल पहुंचाने के लिए तुरंत कार्रवाई हो, ताकि ‘हर घर जल’ का सपना पूरा हो सके।
वे पूछते हैं:
“जब बाकी गांवों में हर घर जल का प्रमाणपत्र बन चुका है, तो खुर्सीपार को क्यों रोका जा रहा है?”
जमीनी हकीकत पोर्टल से उलट
जल जीवन मिशन पोर्टल पर कुछ प्रगति दिखाई दे रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इसे गलत साबित करती है।
न टंकी का निर्माण हुआ
न बोर खनन हुआ
न संपूर्ण पाइपलाइन बिछाई गई
ग्रामीणों की उम्मीद अब भी प्रशासन पर टिकी है कि जल जीवन मिशन का लाभ उन्हें जल्द ही वास्तविक रूप में मिले।





