रायपुर। छत्तीसगढ़ में श्रमिकों के पलायन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश में सबसे अधिक पलायन महासमुंद जिले और ओडिशा सीमा से लगे नुआपाड़ा जिले से हो रहा है। गुरुवार सुबह से ही राजधानी रायपुर के रेलवे स्टेशन में श्रमिकों का पहुंचना शुरू हो गया।
सूत्रों के अनुसार, महासमुंद जिले से करीब 200 से अधिक मजदूर अलग-अलग साधनों से रायपुर रेलवे स्टेशन पहुंच चुके हैं। महासमुंद जिला प्रशासन द्वारा पलायन रोकने के लिए सख्ती बरते जाने के बाद अब मजदूरों को सीधे जिले से बाहर नहीं भेजा जा रहा है, बल्कि उन्हें बस, ऑटो और अन्य साधनों के जरिए राजधानी लाया जा रहा है, जहां से वे रेल मार्ग से दूसरे राज्यों के लिए रवाना हो रहे हैं।
अवकाश के दिन कराया जा रहा पलायन
जानकारी के मुताबिक, प्रशासन की निगरानी से बचने के लिए पलायन कराने वाले दलालों ने नया तरीका अपनाया है। सरकारी अवकाश के दिनों को पलायन के लिए चुना जा रहा है।
आज 18 दिसंबर को छत्तीसगढ़ में सरकारी अवकाश है और इसी का फायदा उठाकर मजदूरों को बाहर भेजे जाने की योजना बनाई गई है। अवकाश के कारण प्रशासनिक अमला सीमित होने से निगरानी कमजोर पड़ जाती है।
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देर रात ट्रेनों से होगी रवानगी
सूत्र बताते हैं कि मजदूरों को उत्तर प्रदेश जाने वाली देर रात की ट्रेनों से रवाना किया जाएगा। फिलहाल सभी मजदूर धीरे-धीरे रायपुर रेलवे स्टेशन के बाहर एकत्र हो रहे हैं। दलालों द्वारा उन्हें अलग-अलग समय पर स्टेशन लाया जा रहा है, ताकि किसी को शक न हो।
हाईटेक हुआ श्रमिक पलायन
कुछ साल पहले श्रमिकों के पलायन की गतिविधियां आसानी से पकड़ में आ जाती थीं, लेकिन अब यह पूरा नेटवर्क हाईटेक और सुनियोजित हो गया है।
मजदूरों को साफ-सुथरे कपड़े पहनाकर, बैग के साथ और कन्फर्म रेल टिकट देकर आम यात्रियों की तरह दूसरे प्रदेशों के लिए रवाना किया जा रहा है। इससे उनकी पहचान करना और पलायन को रोकना प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
छत्तीसगढ़ से लगातार हो रहे इस पलायन ने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था और रोजगार के स्थानीय अवसरों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि रायपुर रेलवे स्टेशन को पलायन का नया केंद्र बनने से रोकने के लिए प्रशासन क्या ठोस कदम उठाता है।








