रायपुर। सिमगा में सेवादल के 97 वे स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया। काँग्रेस सेवादल के छत्तीसगढ़ राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत इस समारोह में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। सेवादल के संस्थापक डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर को को स्मरण और नमन किया। उन्होंने सेवादल के सभी सदस्यों को लगन और मेहनत से सामाजिक कार्यों को करने की बात कही। मंत्री भगत ने सेवादल के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सेवादल में बिताए पुराने समय के अपने अनुभवों को साझा किया। स्वतंत्रता के आंदोलन में सेवादल ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी।
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सेवादल की महत्ता और ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेज़ों ने 1932 में कांग्रेस और सेवादल पर प्रतिबंध लगा दिया। बाद में कांग्रेस को प्रतिबंधमुक्त कर दिया गया था लेकिन हिंदुस्तानी सेवादल पर प्रतिबंध जारी रहा। वर्ष 1921 में, झंडा सत्याग्रह के दौरान डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर और उनके मित्रों की राष्ट्र सेवा मंडल ने अंग्रेजों के सामने झुकने और माफी मांगने को तैयार नहीं हुए। इसी जज्बे ने हार्डिकर को एक निर्भीक जननायक के रूप में स्थापित कर दिया। नागपुर सेंट्रल जेल में रहते हुए हार्डिकर ने एक ऐसे समूह का निर्माण किया जो कॉंग्रेस कार्यकर्ताओं में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने का माद्दा, अनुशासन और जीवटता भर दे।
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हार्डिकर जब जेल से बाहर आए तो उन्होंने इलाहाबाद में जवाहर लाल नेहरू से मिलकर सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले योद्धा संगठन स्थापना करने के संबंध में चर्चा की। वर्ष 1923 में कर्नाटक में आयोजित कांग्रेस सम्मेलन में सरोजनी नायडू ने हिंदुस्तानी सेवादल बनाने का प्रस्ताव रखा। इसके पहले अध्यक्ष नेहरू को बनाया गया। यही संगठन आगे चलकर कांग्रेस सेवादल के रूप में जाना जाने लगा। सेवादल के सदस्यों को संबोधित करते हुए मंत्री भगत ने अपने वक्तव्य में कहा कि जिस देशहित के कार्यों मे रत सामाजसेवी संस्था के पहले अध्यक्ष पंडित जवाहर लाल नेहरू थे उस सेवादल के साथ युवा अवस्था से कार्यरत रहे मात्र यह सोच कर ही वे रोमांचित हो जाते हैं।