– 37 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे कुपोषण का शिकार, कौन है जिम्मेदार?
– नकली और घटिया दवा के कारोबार को बढ़ा रही भाजपा सरकार
– अस्पतालों का निजीकरण करने वाली सरकार गरीब विरोधी
महासमुंद. कांग्रेस जिला अध्यक्ष आलोक चंद्राकर ने एक वक्तब्य जारी कर कहा है कि 15 वर्षों में रमन सिंह सरकार ने छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं को बदहाली पर पहुंचा दिया है और बस्तर की ऐसी हालत कर दी है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा है कि यह अपने आप में विडंबना है कि इस बदहाली से आंखें मूंदे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बस्तर में आकर नई स्वास्थ्य बीमा योजना शुरु करने जा रहे हैं।
जिस योजना का शुरुआत उसमें कई सवाल
- प्रधानमंत्री जिस योजना की शुरुआत करने आ रहे हैं उसके बारे में योजनाकारों और विशेषज्ञों ने बहुत से सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि जिस योजना के लिए बजट ही नहीं है वह ज़मीन पर कैसे उतरेगी? लेकिन अगर यह सच में लागू होने वाली है तो इसका लाभ किसे मिलेगा? छत्तीसगढ़ देश का सबसे ग़रीब राज्य है और यहां लगभग सवा करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से नीचे रहते हैं। क्या इन सबको इस योजना का लाभ मिलेगा या फिर यह चुनावी घोषणा बनकर रह जाएगी?
- ऐसी नई योजना शुरु करने से पहले प्रधानमंत्री मोदी को छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के स्मार्ट कार्ड योजना की दुर्दशा भी देख लेनी चाहिए। मरीजों को इलाज पूरा मिल नहीं रहा है और नए कार्ड बनाने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। हालत यह है कि 40 हज़ार फ़र्ज़ी कार्ड पकड़े जाते हैं और सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होती। सरकार यह भी नहीं बताती कि राज्य में कितने फ़र्जी कार्ड हैं और इसके पीछे कौन है?
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कमीशन का चल रहा खेल: उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में देश के 21 राज्यों में से 20वें स्थान पर है और जिस समय नरेंद्र मोदी जी आ रहे हैं प्रदेश के सारे अख़बार दवा ख़रीदी में कमीशनखोरी और घोटालों की ख़बरों से भरे पड़े हैं। हर दिन एक नए घोटाले की ख़बर आ रही है। दवा ख़रीदी में भ्रष्टाचार का यह आलम है कि कारोबारी बयान दे रहे हैं कि दस से बीस प्रतिशत कमीशन के बिना दवा ख़रीदी नहीं जाती और चर्चा हो रही है कि इस कमीशनखोरी का कितना हिस्सा बंगलों तक पहुंच रहा है
सरकारी अस्पतालों की हालत खराब
जिला अध्यक्ष आलोक चन्द्राकर ने कहा है कि अभी भी 37 प्रतिशत महिलाएं और इतने ही बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। बस्तर में हालत इससे भी ज़्यादा ख़राब है। सरकारी अस्पतालों की हालत ख़राब है और स्थिति यह है कि विशेषज्ञों के 893 पदों में से 840 पद रिक्त हैं, डॉक्टरों के 1379 पदों में से 517 पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा है कि सिकलसेल एनीमिया छत्तीसगढ़ की एक गंभीर समस्या है, सरकार सिकलसेल जांचने का विश्व रिकॉर्ड बनाना चाहती है लेकिन सिकलसेल इंस्टिट्यूट में 180 में से 155 पद रिक्त हैं
नकली दवाओं का चल रहा खेल
उन्होंने कहा है कि नकली और घटिया दवाओं का कारोबार इतना फल फूल गया है कि नसबंदी करवाने आयी माताओं में से 13 को जान गंवानी पड़ीं और बहुत सी महिलाएं आजीवन पीड़ा से कराहती रहेंगीं। यहीं महिलाओं के गर्भाशय निकालने की घटना होती है। बालोद में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने के बाद 48 बुज़ुर्गों के आंखों की रोशनी चली गई, फिर मुख्यमंत्री के राजनांदगांव में 37 बुज़ुर्गों के आंखों की रोशनी छिन गई और अब तो रायपुर के एम्स तक में पांच लोगों को आंखों की रोशनी चली गई है। क्या नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी की सरकार से पूछेंगे कि वह क्यों घटिया और नकली दवाओं के कारोबार को बढ़ावा दे रही है?
न डाक्टर न मेडिकल अफसर
छत्तीसगढ़ में सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा हो रही है, ना डॉक्टर हैं और न मेडिकल कर्मचारी। रमन सिंह सरकार सरकारी अस्पतालों को चला नहीं पा रही है और उसे निजी हाथों में सौंपने का षडयंत्र कर रही है। उन्होंने कहा है कि यह सरकार को शर्मिंदा करने वाली बात है कि गरीब मरीजों के लिए वेदांता का कैंसर का अस्पताल बनकर तैयार हुआ और फिर उसे व्यावसायिक घोषित कर दिया ग