रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीनों के डायवर्सन (उपयोग परिवर्तन) की प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाइन होने जा रही है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद गांव से लेकर शहर तक किसानों और भूमि स्वामियों को एसडीएम कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। राज्य सरकार ने इसके लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर लिया है। दावा-आपत्ति की प्रक्रिया पूरी होते ही यह प्रणाली लागू कर दी जाएगी।
पोर्टल से होगा आवेदन, ऑनलाइन भुगतान की सुविधा
नई व्यवस्था के तहत भूमि स्वामी को डायवर्सन के लिए सरकारी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ क्षेत्र के अनुसार तय भू-राजस्व और प्रीमियम दर का भुगतान भी ऑनलाइन ही किया जाएगा। आवेदन संबंधित जिले के एसडीएम के पास डिजिटल माध्यम से पहुंचेगा।
15 दिनों में अनिवार्य रूप से मिलेगा आदेश
नियमों के अनुसार एसडीएम को आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर डायवर्सन आदेश जारी करना अनिवार्य होगा। यदि तय समय-सीमा में आदेश जारी नहीं किया गया, तो 16वें दिन ऑटोमेटिक सिस्टम के माध्यम से आदेश जारी होकर डायवर्सन स्वतः मान्य माना जाएगा।
15 दिन तक आमंत्रित हैं दावा-आपत्ति
राज्य सरकार ने प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (व्यपवर्तित भूमि के लिए भू-राजस्व का निर्धारण तथा पुनर्निधारण) नियम 2025 का प्रारूप तैयार किया है। इस पर 15 दिनों तक दावा-आपत्ति आमंत्रित की गई है। प्राप्त आपत्तियों के निराकरण के बाद नियमों को अंतिम रूप देकर लागू किया जाएगा।
लंबित प्रकरणों से मिलेगी राहत
अब तक डायवर्सन की प्रक्रिया लंबी और जटिल मानी जाती थी। आवेदन के बाद एसडीएम को आदेश जारी करने के लिए 60 दिनों तक का समय मिलता था, इसके बावजूद लोगों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे। इसी कारण राज्य में डायवर्सन के हजारों मामले लंबित हैं। नई ऑनलाइन व्यवस्था से लंबित मामलों में कमी आने के साथ ही अघोषित लेन-देन पर भी रोक लगने की उम्मीद है।
तय होंगी प्रीमियम दरें
नई प्रणाली में डायवर्सन के लिए प्रीमियम दरें निर्धारित की गई हैं, जो लगभग 3 रुपए प्रति वर्गमीटर से 25 रुपए प्रति वर्गमीटर तक होंगी। ये दरें नगर निगम, नगरपालिका, नगर पंचायत और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग तय की जाएंगी।
इसके अलावा आवासीय, कॉलोनी परियोजना, वाणिज्यिक, औद्योगिक, मिश्रित उपयोग, सार्वजनिक, संस्थागत, चिकित्सा सुविधाएं और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) जैसी श्रेणियों के अनुसार भी अलग-अलग प्रीमियम दरें लागू होंगी।
नई व्यवस्था से भूमि उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया न केवल तेज और पारदर्शी होगी, बल्कि आम नागरिकों को सरकारी दफ्तरों के अनावश्यक चक्कर से भी बड़ी राहत मिलेगी।




















