गणेश उत्सव पर डॉ. नीरज गजेंद्र बता रहे हैं हमारे जीवन में बप्पा का महत्व

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डॉ नीरज गजेंद्र

गणेश उत्सव की गूंज हर गली-मोहल्ले में है। ढोल की थाप है। आरतियों की धुन है। घर-घर बप्पा विराजमान हैं। लेकिन कुछ ठहरकर सोचिए। समझिए, कि गणेश जी हमारे जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं। यह जानना आवश्यक है कि गणेश जी एक देवता होने के साथ-साथ एक विचार भी हैं। वे एक दिशा हैं। हमारे जीवन रूपी किताब का पहला शब्द हैं। हर शुभ काम से पहले उनका नाम लिया जाता है। वे विघ्नहर्ता हैं। वे हमें यह भरोसा देते हैं कि राह चाहे कितनी भी कठिन हो, मंजिल तक पहुंचने का रास्ता हमेशा निकलता ही जाता है।

मिट्‌टी से बनीं उनकी मूर्ति हमें जीवन का बड़ा सच बताती है। जो आज है, वो कल मिट्टी में मिल जाएगा। उनका यही गुण हमें विनम्रता सिखाती है। याद दिलाती है कि चाहे हम कितनी भी ऊंचाई पर पहुंच जाएं। अंततः हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना है। उनकी लंबी सूंड कहती है कि जिंदगी में लचीलापन जरूरी है। फूल उठाना हो तो भी यही सूंड और भारी पत्थर हटाना हो तो भी यही। तो क्यों न हम भी हालात के हिसाब से अपने आप को ढालना सीखें। उनके बड़े कान फुसफुसाते हैं कि सुनो अधिक, बोलो कम। आज की दुनिया में सब अपनी कह रहे हैं, पर सुनने वाला कोई नहीं। उनकी छोटी आंखें कहती हैं कि ध्यान और एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है। बिना फोकस के न पढ़ाई चलती है, न करियर और न ही रिश्ते। उनका बड़ा पेट सहनशील बनने की सीख देता है। आलोचना हो या तारीफ, सफलता हो या असफलता सबको पचाना सीखो। उनका टूटा हुआ दांत भी हमें सिखाता है कि जो खो गया उसका शोक मत करो, जो बचा है उसी से आगे बढ़ो। यही तो असली जीवन-कला है।

गणेश जी केवल विघ्नहर्ता ही नहीं, बल्कि एक आदर्श राजा भी हैं। उनके मुकुट में नेतृत्व का गौरव है और उनके आसन पर न्याय और करुणा का संतुलन। वे सिखाते हैं कि सच्चा राजा वही है, जो शक्ति के साथ ज्ञान, विनम्रता और सेवा का राज्य चलाए। उनका राजधर्म हमें समाज और परिवार में न्यायप्रिय, दयालु और जिम्मेदार बनने का संदेश देता है।

मोदक उनके हाथ में सिर्फ मिठाई नहीं है, वह संदेश देता है कि मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। पर वह तभी मिलेगा जब हम खुद को ज्ञान और साधना की भाप में पकाएं। दूर्वा भले ही एक साधारण घास है, पर यह याद दिलाती है कि सरलता सदैव पूजनीय होती है। सोचिए, अगर हम इन छोटी-छोटी बातों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उतार लें, तो क्या हमारी परेशानियां आधी नहीं हो जाएंगी। गणेश जी हमें यही सिखाते हैं कि सफलता की असली शुरुआत बाहर से नहीं, अंदर से होती है। सही सोच और साफ नीयत ही हर काम की बुनियाद है।

गणेश जी की पूजा एक दिन या पर्व विशेष की नहीं, रोज की सोच में होनी चाहिए। उनके जीवन से जो भी प्रतीक हैं, वे हमें हर दिन कुछ न कुछ सिखाते हैं। आज की और आने वाली पीढ़ी के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि वे इन प्रतीकों को समझें, अपनाएं और आगे बढ़ें। गणेश जी को सिर झुकाकर नमस्कार करने का मतलब है अपने अहंकार को दरकिनार करके ज्ञान और विवेक को अपनाना। यही अगर हम कर लें, तो हर राह आसान हो सकती है। गणपति बप्पा मोरया!

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