महासमुंद। कोमाखान थाना क्षेत्र में अवैध शराब के खिलाफ पुलिस ने 1 दिसंबर से अब तक करीब डेढ़ दर्जन से अधिक कार्रवाइयाँ की हैं। लेकिन ग्रामीणों व स्थानीय नागरिकों के बीच पुलिस कार्रवाई को लेकर संदेह गहराता जा रहा है। आरोप है कि पुलिस शराब बेचने वालों तक नहीं पहुंच रही, बल्कि सिर्फ उन लोगों पर कार्रवाई हो रही है जो शराब पिलाते या पीते पकड़े गए हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि कोमाखान पुलिस की अधिकांश कार्रवाइयों में एक ही व्यक्ति को बार-बार बतौर गवाह रखा जा रहा है, जिसका नाम राकेश जोसफ है। 7 दिसंबर की कार्रवाई में तो पुलिस ने राकेश जोसफ को ही शराब पिलाने के आरोप में गिरफ्तार कर जमानत पर छोड़ा और उसी को अगली कार्रवाइयों में फिर गवाह बना लिया। इससे पुलिस कार्यप्रणाली को लेकर ग्रामीणों में गहरा भ्रम और आक्रोश है।
7 दिसंबर की कार्रवाई—गवाह ही बना आरोपी
पुलिस मुखबिर सूचना पर कांदाजरी नाला क्षेत्र में रेड करने पहुंची। पुलिस को देखकर शराब पीने वाले भाग गए और शराब पिलाने का आरोप लगाते हुए राकेश जोसफ (उम्र 33, निवासी लुकुपाली) को गिरफ्तार किया गया।
उसके कब्जे से 3 डिस्पोजल गिलास व 2 खाली देशी शराब की बोतलें जब्त की गईं।
आरोपित को धारा 36(C) आबकारी एक्ट में गिरफ्तार कर जमानत पर छोड़ दिया गया।
लेकिन इसके बाद भी उसी व्यक्ति को पुलिस ने “गवाह” बनाकर अगली रेड में अपने साथ रखा, जिससे ग्रामीणों के सवाल और बढ़ते जा रहे हैं।
10 और 11 दिसंबर की कई कार्रवाइयों में एक ही पैटर्न
कोमाखान पुलिस ने 10 और 11 दिसंबर को रेलवे स्टेशन, कांदाजरी नाला, बिंद्रावन पुल, सुवरमाल मोड़ सहित कई स्थानों पर कार्रवाई की।
हर जगह एक जैसा ही घटनाक्रम दिखा—
पुलिस ने टाउन/देहात पेट्रोलिंग के दौरान मुखबिर सूचना पर रेड किया
शराब पीने वाले सभी लोग पुलिस को देखते ही भाग गए
सिर्फ “शराब पिलाने वाला” पकड़ा गया
आरोपियों के पास से 3 डिस्पोजल गिलास, 2 खाली बोतलें, 3 फटे पोपट मिक्चर पैकेट जब्त किए गए
धारा 36(C) आबकारी एक्ट में गिरफ्तार कर मौके पर ही जमानत दे दी गई
और हर कार्रवाई में गवाह के रूप में कन्हैया धीवर और राकेश जोसफ को ही शामिल किया गया
इन कार्रवाइयों में निम्न व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया:
लोकचंद यादव (बंधापार सुवरमार)
टोपचंद यादव (अमनपुरी टुहलू)
देवव्रत साहू (अमेरा)
प्रीतम पाँडे (अमेरा)
हेमलाल साहू (लिटियादादर)
देवालाल निराला (भटगांव)
सभी शिकायतों में एक जैसी जब्ती, एक जैसे बयान और एक ही गवाह होने से ग्रामीणों में संदेह उत्पन्न हो रहा है।
ग्रामीणों का आरोप—“दिखावा, खानापूर्ति, असली शराब माफिया सुरक्षित”
ग्रामीणों व स्थानीय नागरिकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि—
पुलिस असली अवैध शराब बेचने वालों पर कार्रवाई नहीं कर रही
सिर्फ शराब पीने वालों को निशाना बनाकर कार्रवाई दिखा रही है
हर केस में एक ही गवाह होने से कार्रवाई संदिग्ध लगती है
आरोपी को उसी दिन जमानत दे देना और अगले दिन उसे गवाह बना देना पुलिस की प्रक्रिया पर बड़ा सवाल है
लोगों का यह भी कहना है कि अवैध शराब का असली नेटवर्क गाँवों में गहरी पैठ रखता है, लेकिन पुलिस छोटे लोगों को पकड़कर “सफल कार्रवाई” का दावा कर रही है।
नागरिकों में बढ़ता अविश्वास
लगातार लगभग एक जैसी कार्रवाई होने और गवाहों के चयन पर उठ रहे प्रश्नों से नागरिकों में अविश्वास बढ़ रहा है। ग्रामीणों की मांग है कि—
इन कार्रवाइयों की स्वतंत्र जांच की जाए
असली शराब आपूर्तिकर्ताओं पर कार्रवाई हो
बार-बार एक ही गवाह को रखने पर जवाब दिया जाए
यहां पढें:
कोमाखान–कोसमर्रा जंगल में फिर शुरू हुआ अवैध शराब कारोबार, ग्रामीणों ने ठेका देकर शुरू की दुकान



















