Sharad Pawar NCP Chief: शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है. उनके इस एलान के बाद सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि अब पार्टी की बागडोर किसके हाथ में जाएगी. (Sharad Pawar) इस पद के लिए शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को पवार का उत्तराधिकारी माना जाता है लेकिन अजित पवार भी प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखे जाते हैं. ऐसे में पार्टी अध्यक्ष पद के लिए इन दोनों नेताओं के बीच मुकाबला होना तय है.
कार्यकर्ताओं ने की मांग पद न छोड़ें पवार
दिग्गज नेता (Sharad Pawar) जैसे ही ने अपने फैसले की घोषणा की, सभागार में मौजूद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने मांग की कि पवार अपना फैसला वापस लें, जब तक वे ऐसा नहीं करते, वे सभागार से बाहर नहीं जाएंगे.
‘एक कदम पीछे हटना जरूरी है’
पवार, जिन्होंने 1999 में NCP की स्थापना के बाद से पार्टी की कमान संभाली थी, ने अपने संबोधन में कहा, ‘मेरे पास संसद में राज्यसभा की सदस्यता के तीन साल बाकी हैं, इस दौरान मैं महाराष्ट्र और भारत से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करूंगा, किसी भी तरह जिम्मेदारी नहीं लूंगा. 1 मई, 1960 से 1 मई, 2023 तक के सार्वजनिक जीवन की लंबी अवधि के बाद एक कदम पीछे हटना जरूरी है. इसलिए, मैंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से हटने का फैसला किया है.’
सार्वजनिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहा हूं’
पवार (Sharad Pawar) ने कार्यकर्ताओं से कहा, ‘मेरे साथियों, भले ही मैं राष्ट्रपति पद से हट रहा हूं, लेकिन मैं सार्वजनिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहा हूं. ‘निरंतर यात्रा’ मेरे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है. मैं सार्वजनिक कार्यक्रमों, बैठकों में भाग लेता रहूंगा. चाहे मैं पुणे, मुंबई, बारामती, दिल्ली या भारत के किसी अन्य हिस्से में हूं, मैं आप सभी के लिए हमेशा की तरह उपलब्ध रहूंगा.’
अगले पार्टी प्रमुख का नाम तय करने लिए बनाई गई कमेटी
पवार (Sharad Pawar) ने कहा कि यह तय करने के लिए एक समिति बनाई जाएगी कि पार्टी प्रमुख के पद की जिम्मेदारी किसे दी जाए. उन्होंने कहा कि पैनल में सुप्रिया सुले, अजीत पवार, प्रफुल्ल पटेल, जयंत पाटिल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, छगन भुजबल और अन्य सहित वरिष्ठ सदस्य होने चाहिए.
एमवीए के गठन में निभाई बड़ी भूमिका
चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, रक्षा और केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में काम कर चुके पवार ने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए एनसीपी, कांग्रेस और वैचारिक रूप से अलग नजरिया वाली शिवसेना को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अब पवार के इस्तीफे की घोषणा के बाद एमवीए के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है.