Thursday, June 1, 2023
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सुपेबेड़ा के बाद महासमुंद के कोना गांव के ग्रामीणों का हो रहा किडली फेल, छह माह में पांच की मौत, तीन लोग कर रहे मौत का इंतजार

दिलीप शर्मा । छत्तीसगढ़.  सुपेबेड़ा गांव के बाद अब महासमुंद जिले के एक गांव कोना में लोग अब किडनी बीमारी से लगातार मर रहे हैं। यहां छह माह के भीतर पांच लोगों के किडनी फेल होने से मौत हो चुकी है। वर्तमान में तीन लोग ऐसे हैं जो बिस्तर में मरने का इंतजार कर रहे हैं। ये सभी लोग 30 से 45 उम्र के हैं। लेकिन, इतना सब कुछ हो जाने के बाद शासन-प्रशासन इस गांव में सतर्कता नहीं बरत रही है। जबकि, सभी मरने वाले का इलाज सरकारी अस्पताल में हुआ था। यहां तक गांव का कोटवार जो लंबे समय से ग्रामीणों को पानी उबालकर पीने की सलाह दे रहे थे। वे भी आज गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती है।

0 ग्रामीणों का कहना है यहां दो साल से अकाल मौतों का सिलसिला शुरू हुआ है। किडनी फेलियर की शिकायतें आने लगीं और धीरे-धीरे मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां विधवा की संख्या पुरुषों से दोगुना है। पहले लोग समझ ही नहीं पाते थे और घर में ही बिना इलाज के दम तोड़ देते थे।

– ये लोग मौत के मूंह में समा गए

रोशन ध्रुव पिता खोरबाहरा (25), रूपचरण पिता ठाकुर राम ध्रुव (30), परस पिता लेड़गा (42), यशवंत पिता विष्णु चंदाकर (35), सुखराम पिता रजवा (35) ये सभी अभी हाल ही के कुछ महीने पहले किडनी फेल होने से मृत हुए हैं।

परिजन कर रहे मरने का इंतजार

ठाकुरराम पिता देवनाथ (55), मानबाई पति थनवार (45), श्रवणदास मानिकपुरी (40) जो मौत का इंतजार कर रहे हैं। इसी तरह गांव में बरनू राम पिता सोनू (60) भी पीड़ित है। इनमें से श्रवण मानिकपुरी का इलाज चल रहा है। लेकिन, मानबाई और ठाकुर राम का दोनों किडनी फेल हो चुके हैं। महासमुंद के सौ बिस्तर अस्पताल ने रेफर कर दिया है।

0 मानबाई के पति थनवार ने बताया कि अब हम हिम्मत हार चुके हैं, डाक्टरों का कहना कि किसी बड़े अस्पतालों में इलाज के लिए ले जाओं, अब हमारी ऐसी हैसियत नहीं है कि हम इलाज करा सकें। इसलिए घर में देखभाल कर मरने का इंतजार कर रहे हैं।

-पीएचई को दी गई जानकारी

0 ग्रामीण दिलीप साहू, इंदू दीवान ने बताया कि पानी प्रदूषित होने की सूचना कई बार प्रशासन और पीएचई विभाग को दी गई है। लेकिन, कभी पानी की जांच नहीं की गई। यहां तक पंचायत के माध्यम से भी मांग की गई। आदिवासी बाहुल्य इस गांव की जनसंख्या सिर्फ 350 है।

0 चार हैंडपंप है, लेकिन चारों सूख चुके हैं। यहां सरकारी नल-जल के तहत घरों में पानी पहुंचता है। ग्राम पंचायत सचिव बेनूराम चंद्राकर का कहना है कि लगातार यहां अल्प आयु में मरने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। खासकर सभी किडनी से संबंधित बीमारी से मौत के काल में समा रहे हैं। http://काेना गांव पहुंचे अफसर

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