Surya Arghya dena: धार्मिक परंपरा नहीं है सूर्य को अर्घ्य देना, छूपा है ये गहरा विज्ञान का राज, आप भी जानें

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Surya Arghya dena:  सूर्य को जल देना पुरानी सनातन परंपरा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्य को जल देना केवल एक धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि इसके पीछे गहरा विज्ञान भी छिपा है. उगते और डूबते सूरज को अर्घ्य देने का शरीर को सेहतमंद बनाने में भी बड़ा योगदान होता है. लेकिन यह होता कैसे है और इससे हम पर कैसे असर पड़ता है. इस बारे में आज हम आपको विस्तार से बताते हैं.

शरीर के रंग का कैसे होता है निर्माण?

सत्यअन्वेषी ट्विटर हैंडल पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, रंग एक रासायनिक मिश्रण है. मानव शरीर रासायनिक तत्वों का बना है तो वहीं सूर्य देव अलग अलग रंग अलग अलग आवर्तियां उत्पन्न करते हैं. जिस अंग में जिस प्रकार के रंग की अधिकता होती है शरीर का रंग उसी तरह का होता है. जैसे त्वचा का रंग गेहुंआ, केश का रंग काला और नेत्रों के गोलक का रंग सफेद होता है.

Surya Arghya dena: शरीर में रंग विशेष के घटने-बढने से रोग के लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे खून की कमी होना शरीर में लाल रंग की कमी का लक्षण है. सूर्य स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का भण्डार है. मनुष्य सूर्य के जितने अधिक सम्पर्क में रहेगा उतना ही अधिक स्वस्थ रहेगा. जो लोग अपने घर को चारों तरफ से खिडकियों से बन्द करके रखते हैं और सूर्य के प्रकाश को घर में घुसने नहीं देते; वे लोग सदा रोगी बने रहते हैं. जहां सूर्य की किरणें पहुंचती हैं, वहां रोग के कीटाणु स्वत: मर जाते हैं और रोगों का जन्म ही नहीं हो पाता.

असाध्य रोग हो जाते हैं दूर

सूर्य अपनी किरणों द्वारा अनेक प्रकार के आवश्यक तत्वों की वर्षा करता है और उन तत्वों को शरीर में ग्रहण करने से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं. सूर्य पृथ्वी पर स्थित रोगाणुओं ‘कृमियों’ को नष्ट करके प्रतिदिन रश्मियों का सेवन करने वाले व्यक्ति को दीर्घायु भी प्रदान करता है. सूर्य की रोग नाशक शक्ति के बारे में अथर्ववेद के एक मंत्र में स्पष्ट कहा गया है कि सूर्य औषधि बनाता है, विश्व में प्राण रूप है तथा अपनी रश्मियों द्वारा जीवों का स्वास्थ्य ठीक रखता है.

Surya Arghya dena: अथर्ववेद में कहा गया है कि सूर्योदय के समय सूर्य की लाल किरणों के प्रकाश में खुले शरीर बैठने से हृदय रोगों तथा पीलिया के रोग में लाभ होता है.  प्राकृतिक चिकित्सा में आन्तरिक रोगों को ठीक करने के लिए भी नंगे बदन सूर्य स्नान कराया जाता है. आजकल जो बच्चे पैदा होते ही पीलिया रोग के शिकार हो जाते हैं, उन्हें सूर्योदय के समय सूर्य किरणों में लिटाया जाता है. ऐसा करने से उनके शरीर के पिगमेन्ट सेल्स पर रासायनिक प्रतिक्रिया प्रारम्भ हो जाती है और बीमारी में लाभ होता है. डाक्टर भी नर्सरी में कृत्रिम किरणों की व्यवस्था लैम्प आदि जला कर भी करते हैं.

सूर्य को कभी हल्दी या अन्य रंग डाल कर जल दिया जाता है, जल को हमेशा अपने सर के ऊपर से सूर्य और अपने ह्रदय के बीच से छोड़ना चाहिए. ध्यान रहे कि सूर्य चिकित्सा दिखता तो आसान है पर विशेषज्ञ से सलाह लिए बिना शुरू न करें. सूर्य की रोशनी में सात रंग शामिल हैं और इन सब रंगो के अपने अपने गुण और लाभ है.

Surya Arghya dena: सूर्य किरणों के रंगों से शरीर को लाभ

लाल रंग: यह ज्वार, दमा, खाँसी, मलेरिया, सर्दी, ज़ुकाम, सिर दर्द और पेट के विकार आदि में लाभ कारक है.

हरा रंग: यह स्नायुरोग, नाडी संस्थान के रोग, लिवर के रोग, श्वास रोग आदि को दूर करने में सहायक है.

पीला रंग: चोट ,घाव रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, दिल के रोग, अतिसार आदि में फ़ायदा करता है.

नीला रंग: दाह, अपच, मधुमेह आदि में लाभकारी है.

बैंगनी रंग: श्वास रोग, सर्दी, खाँसी, मिर् गी ..दाँतो के रोग में सहायक है.

नारंगी रंग: वात रोग, अम्लपित्त, अनिद्रा, कान के रोग दूर करता है.

आसमानी रंग: स्नायु रोग, यौनरोग, सरदर्द, सर्दी- जुकाम आदि में सहायक है.

सूरज का प्रकाश रोगी के कपड़ों और कमरे के रंग के साथ मिलकर रोगी को प्रभावित करता है. अतः दैनिक जीवन मे हम अपने जरूरत के अनुसार अपने परिवेश एवम् कपड़ो के रंग इत्यादि मे फेरबदल करके बहुत सारे फायदे उठा सकते हैं.

सूर्य देव को अर्घ्य ज्योतिषीय दृष्टिकोण  Surya Arghya dena:

इस संसार में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देव कहा जाता है क्योंकि हर व्यक्ति इनके साक्षात दर्शन कर सकता है. रविवार भगवान सूर्य का दिन माना जाता है और सप्तमी तिथि के देवता भी भगवान सूर्य है. अगर सप्तमी तिथि रविवार के दिन पड़े तो उसका अति विशेष महत्व होता है इस दिन सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व है. रविवारीय सप्तमी भानु सप्तमी या सूर्य सप्तमी कहलाती है.

रविवार तथा सप्तमी तिथि को भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व है. भगवान सूर्य की कृपा पाने के लिए तांबे के पात्र में लाल चन्दन, लाल पुष्प, अक्षत डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए उन्हें जल अर्पण करना चाहिए. श्री सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करना चाहिए.

इस अर्घ्य से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर अपने भक्तों की हर संकटों से रक्षा करते हुए उन्हें आरोग्य, आयु, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, कान्ति, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं. भगवान सूर्य देव कि कृपा प्राप्त करने के लिए जातक को प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व ही शैया त्याग कर शुद्ध, पवित्र जल से स्नान के पश्चात उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए.

सुंदरता और तेज की होती है प्राप्ति Surya Arghya dena:

भगवान सूर्य सबसे तेजस्वी और कांतिमय माने गए हैं. अतएवं सूर्य आराधना से ही व्यक्ति को सुंदरता और तेज की प्राप्ति भी होती है. ह्रदय रोगियों को भगवान सूर्य की उपासना करने से विशेष लाभ होता है. उन्हें आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नित्य पाठ करना चाहिए. इससे सूर्य भगवान प्रसन्न होकर अपने भक्तों को निरोगी और दीर्घ आयु का वरदान देते है.

सूर्य भगवान की कृपा पाने के लिए जातक को प्रत्येक रविवार अथवा माह के किसी भी शुक्ल पक्ष के रविवार को गुड़ और चावल को नदी अथवा बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए. तांबे के सिक्के को भी नदी में प्रवाहित करने से भी सूर्य भगवान की कृपा बनी रहती है. रविवार के दिन स्वयं भी मीठा भोजन करें एवं घर के अन्य सदस्यों को भी इसके लिए प्रेरित करें. हाँ भगवान सूर्यदेव को उस दिन गुड़ का भोग लगाना कतई न भूलें .

ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को राजपक्ष अर्थात सरकारी क्षेत्र एवं अधिकारियों का कारक ग्रह बताया गया है. व्यक्ति कि कुंडली में सूर्य बलवान होने से उसे सरकारी क्षेत्र में सफलता एवं अधिकारियों से सहयोग मिलता है. कैरियर एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में उन्नति के लिए भी सूर्य की अनुकूलता अनिवार्य मानी गयी है.

मनोवांछित फल पाने के लिए मंत्र का उच्चारण  Surya Arghya dena:

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा..

भगवान सूर्य के किसी भी आसान और सिद्ध मंत्र का जाप श्रद्धापूर्वक अवश्य ही करें.

ॐ घृणि सूर्याय नम:..

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:..

कब से शुरू करें मंत्रों का उच्चारण? Surya Arghya dena:

मंत्रों का किसी भी कृष्ण पक्ष के प्रथम रविवार से आरम्भ करे सूर्योदय काल इसके लिये सर्वोत्तम है. लाल ऊनि आसान पर सूर्याभिमुख बैठ कर मानसिक जप करना सर्वोत्तम है इसके प्रभाव से व्यक्ति में सूर्य जैसे गुण आते है, चेहरे पर कांति आती है.आकर्षण बढ़ता है नेत्र रोगों में में लाभकारी है तथा कुंडली मे सूर्य के अशुभ फलों में कमी आती है.

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