रूपेश टंडन
चावल का चीला छत्तीसगढ़ का खास व्यजंन है। चीला एक लो-कैलरी आहार है, जिसमें स्वाद के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में पोषण रहता है। इस मौसम यानि सावन के बाद भादो में इसका लजीज होता है। इसलिए भादो में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्योहार इतवारी में खेतों में चीला चढ़ाने की परपंरा सदियों से है। हर कोई सोचता है कि जब मौका मिले, तो कुछ लजीज खाया जाए। लेकिन इतना समय नहीं मिल पाता कि कोई लंबी रेसिपी को बनाए। चीला अपने आप में इतना शानदार भोजन और नाश्ता है, जिसे आप सुबह नाश्ते के साथ-साथ शाम की चाय पर भी खा सकते हैं। ऐसे तो चीला कई प्रकार और कई चीजों से बनती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में चावल आटे का चीला एक अलग ही स्थान रखता है।
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आइए जानते हैं चीला कैसे बनती है
ऐसे तो चीला को लजीज और स्वाद बढ़ाने हम हरी मिर्च, टमाटर, धनिया के अलावा और कई तरह से बनाते हैं। लेकिन सबसे खास चीला सिर्फ चावल आटे के साथ नमक के साथ जो बनती है, वह बहुत ही लजीज है। महीन पीसा हुआ चावल आटे को एक कटोरे में लेकर घोल बनाते हैं और उसमें स्वादनुसार नमक डालते हैं, और तवा में तेल गर्म कर इस घेल को पतला नुमा रोटी की तरह डाल देते हैं, और एक बर्तन से कुछ मिनटों के लिए ढंक देते हैं, और चीला को दूसरी ओर पलट कर सेकतें हैं। महज यह तीन मिनट के भीतर आपके पास होता है। इस चीला को आम के अचार, टमाटर की चटनी या चाय के साथ के खा सकते हैं।
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