धमतरी। नगरी विकासखण्ड के ग्राम रावणसिंघी के किसान जैनेन्द्र साहू ने करीब दो दशक पहले का विख्यात नगरी दुबराज की सुगंधित फसल को पुनर्जीवित करने में सफल हुआ है।
- उन्होंने जैविक विधि अपनाकर अपने खेतों में श्री विधि से सुगंधित धान दुबराज की सफलतापूर्वक फसल ली, जिससे उनके खेतों में इसकी खुशबू बिखर रही है।
- कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम (आत्मा) के तहत नगरी विकासखण्ड में विभाग द्वारा जैविक खेती का सतत् प्रदर्शन किया जा रहा है और किसानों को इसके लिए लगातार जागरूक और प्रोत्साहित करने अनेक प्रकार की कवायद की जा रही है।
खाद और उर्वरक का प्रयोग
- किसान जैनेन्द्र ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में बिना रासायनिक खाद और उर्वरक का प्रयोग किए कृषि विभाग के अधिकारी के मार्गदर्शन में श्री पद्धति से रोपा लगाया।
- श्री साहू ने इससे पहले हरी खाद का उपयोग किया। साथ ही वर्मी कम्पोस्ट को खाद के तौर पर उपयोग किया।
- इसके 40-45 दिनों के बाद खेतों की मताई करके उसे सड़ाने छोड़ा गया जिससे खेत में नाइट्रोजन और अन्य आवश्यक खाद की पूर्ति हो गई। नींदा नियंत्रण के लिए उन्होंने पैडी वीडर का प्रयोग किया, जबकि कीटनाशक के रूप में नीम तेल का प्रयोग किया।
- उन्होंने बताया कि इन सब देशी उपायों के चलते इसमें कीट एवं खरपतवारों का आक्रमण नहीं होने से फसल अच्छी हुई, जिसके बाद हार्वेस्टर से फसल की कटाई की गई।
- इस प्रकार प्रति हेक्टेयर 25-30 क्विंटल धान प्राप्त हुआ। किसान श्री साहू ने बताया कि खड़ी फसल के समय से ही खरीदारों की मांग शुरू हो गई थी। इसकी 60-65 रूपए प्रतिकिलो की दर से मांग प्राप्त हुई है।
- किसान साहू को कृषि विभाग द्वारा शेलो नलकूप, थ्रेसर, रोटावेटर, सीड ड्रिल, कल्टीवेटर, पैडीवीडर एवं अन्य आदान सामग्रियों का लाभ दिलाया जा चुका है।
कृषि मंत्री के हाथों हो चुके हैं सम्मानित
- साहू ने बताया कि जैविक खेती से फसलों के साथ-साथ मनुष्यों की सेहत अच्छी रहती है इसलिए लोगों को त्वरित लाभ को नजरअंदाज कर स्थायी लाभ की ओर ध्यान देना चाहिए।
- आज के समय में लुप्त होते जा रहे सुगंधित धानों की प्रजातियों को पुनर्जीवित करने के लिए जैविक विधि की ओर लौटना होगा और पूर्वजों की इस अनमोल विरासत को सुरक्षित और संरक्षित करना होगा।
- प्रगतिशील कृषक साहू को वर्ष 2016-17 के लिए विकासखण्ड स्तर पर उत्कृष्ट प्रगतिशील किसान के पुरस्कार से प्रदेश के कृषि एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के हाथों सम्मानित किया जा चुका है।
- जिले में वर्तमान में लगभग डेढ़ सौ हेक्टेयर में दुबराज सहित अन्य सुगंधित प्रजाति के धान की पैदावार किसानों द्वारा जैविक पद्धति से खेती की जा रही है तथा यह खुशी की बात है कि अब प्रतिवर्ष सुगंधित प्रजातियों के धान के रकबे में इजाफा दर्ज किया जा रहा है।