दिलीप शर्मा। छत्तीसगढ़ में शराब बंदी की घोषणा कागजी साबित हो रहा है। स्थिति ये है कि प्रदेश के लोग शराब के मस्ती में झूम रहे हैं। इसके कारण कई घर बर्बादी और क्राइम के कगार पर पहुंच गए है। सनातन धर्म का महापर्व होली को ही देख लें इस दिन को सरकार ने शुष्क दिवस घोषित किया था। प्रदेश के किसी भी सरकारी दुकान नहीं खुली थी। लेकिन, बाजार में शराब आसानी से उपलब्ध हो रहा था। इसका क्या मतलब निकालें क्या ये हमारी नकामी है!
क्या घोषणा हमारी फिसली हुई है!
प्रदेश के महासमुंद जिले के बागबाहरा सरकारी हॉस्पीटल में होली की देर रात तक शराब पीकर गिरने वालों की संख्या 50 के करीब पहुंच गया। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश में कितने लोग शराब के शिकार हुए होंगे। होली के दिन इस अस्पताल में शाम 6 बजें तक 35 लोग जो कोई हाथ-पैर तोड़वाकर तो कोई मारपीट का शिकार होकर पहुंचे थे। और यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। और इन सभी का नाता एक ही था, सभी लोग शराब के शिकार हुए थे। इसकी पुष्टि यहां ड्यूटी पर तैनात डॉ ध्रुव ने की। डाक्टर ने कहा कि इन शराब पीकर गिरने वालों पर भी कोई धारा लगे और ठोस कार्रवाई होनी चाहिए ताकि इनकी संख्या तो कम हो।
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बागबाहरा सामुदायिक केंद्र में होली के दिन दो मरीज ऐसे भी भर्ती थे, जो अपना नाम-पता नहीं बता पा रहे थे, दोनों बहुत ही शराब पी रखें थे, देर रात तक इनकी परिजनों से संपर्क नहीं हो पाया था। वहीं एक बुजुर्ग महिला जो बागबाहरा की रहने वाली जिन्हें बुरी तरह से पीटा गया था। इन्हें बागबाहरा पुलिस मुलायजा करने अस्पताल लाए हुए थे। महिला ने बताई इनके बेटों ने शराब के नशे में दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था, जैसे-तैसे जान बचाकर पुलिस के पास पहुंची थी। वहीं एक युवक को पांच-सात दोस्त अस्पताल लेकर पहुंचे थे, जिनकी एक पैर चल नहीं रहा था। उक्त युवक शराब के नशे में ठीक से बोल नहीं पा रहा था। इनके दोस्तों ने बताया ज्यादा शराब पी गया। जिसकी वजह से ये एक्सीडेंट हुआ है।
ये स्थिति प्रदेश के सिर्फ बागबहरा में ऐसा हुआ है ऐसा नहीं अमुमन प्रदेश के सभी अस्पतालों में होली के दिन ऐसा नजारा रहा होगा? इसके अलावा प्रायवेट अस्पताल में भी यहीं स्थिति अमूमन देखने को मिला। होली पर्व पर प्रदेश के हजारों परिवार शराब के इस बुराई के शिकार होकर तंगहाल और परेशान हुए हैं।