बागबाहरा। कोमाखान क्षेत्र स्थित पतेरापाली पहाड़ में हो रहे खनन कार्यों ने स्थानीय ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बिन्द्रावन से पतेरापाली उत्खनन क्षेत्र तक प्रधानमंत्री सड़क बनी हुई है, लेकिन भारी वाहनों की लगातार आवाजाही के कारण सड़क की हालत बद से बदतर हो चुकी है। जगह-जगह गड्ढे पड़ गए हैं और उठती धूल से राहगीरों व आसपास के घरों में रहने वालों का जीवन दूभर हो गया है। इसी कारण ग्रामीणों ने पहाड़ में जारी उत्खनन को तत्काल बंद करने की मांग की है।
विस्फोट और शोर से जंगली जानवरों का आतंक, ग्रामीण दहशत में
ग्रामीणों के अनुसार पहाड़ में रोज होने वाले विस्फोटों से आसपास का पर्यावरण गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। इसका सीधा असर जंगली जानवरों पर पड़ रहा है। खनन कार्यों से अपना निवास क्षेत्र प्रभावित होने के कारण भालुओं के झुंड अब गांवों की ओर रुख कर रहे हैं और कई बार गांव के घरों तक पहुंच जा रहे हैं।
शाम ढलते ही लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पतेरापाली पहाड़ में बड़ी संख्या में भालू रहते हैं, जो अब विस्थापित होकर गांव में भय का माहौल बना रहे हैं।
“जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से बढ़ रहा प्रदूषण” – ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीण बेदराम साहू ने आरोप लगाया कि पतेरापाली पहाड़ से निकाली जा रही गिट्टी को बड़े पैमाने पर ओडिशा भेजा जा रहा है और इसमें जनप्रतिनिधियों की खुली मिलीभगत है।
उन्होंने कहा कि खनन के कारण न केवल सड़कें जर्जर हो गई हैं, बल्कि धूल, शोर और पर्यावरणीय क्षति ने ग्रामीणों का जीना मुश्किल कर दिया है।
ग्रामीणों की मांग है कि शासन-प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप कर खनन को बंद करवाए।
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