बिरकोनी. 34वां राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के तहत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसपी वारे के निर्देशानुसार एवं खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. विपिन राय के मार्गदर्शन में गत 28 अगस्त को शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला गढ़सिवनी में छात्र-छात्राओं को नेत्रदान की महत्ता एवं आवश्यकता बताते हुए नेत्र सुरक्षा के उपायों की भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बिरकोनी के नेत्र सहायक अधिकारी संजय चंद्राकर ने कार्यक्रम में स्कूली छात्र-छात्राओं को बताया कि देश में करीब 30 लाख लोग और छत्तीसगढ़ में लगभग 20 हजार लोग ऐसे हैं, जो कॉर्निया (दृष्टि पटल) में सफेदी आ जाने के कारण अंधेपन का शिकार हैं.
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यदि उन्हें कॉर्निया (दृष्टि पटल) उपलब्ध हो जाए तो उनकी आंखों में रोशनी वापस आ सकती है और वह इस रंगीन दुनिया को फिर से देख सकते हैं. प्रतिवर्ष करीब एक लाख कार्निया की जरूरत होती हैं, किन्तु महज 40 हजार कॉर्निया ही उपलब्ध हो पाती है इसका मुख्य कारण लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता की कमी होना है. मृत्यु उपरांत दान की गई आंखों से हम दो व्यक्तियों के जीवन का अंधेरा दूर कर रोशनी ला सकते हैं और इस पुण्य कार्य में अपना योगदान कर सकते हैं.
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चंद्राकर ने कहा कि नेत्रदान करने वाला व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो, मृत्यु उपरांत अपनी आंखों को दान कर हमेशा के लिए दूसरों की आंखों की रोशनी बनकर अमर हो सकता है. कुछ बीमारियों जैसे- सेप्टीसिनिया, हेपेटाईटिस बी, सी, एड्स, रैबीज, हैजा से ग्रसित, जहर सेवन या पानी में डूब जाने से मृत व्यक्ति का नेत्रदान नहीं किया जा सकता. कार्यक्रम में गणेश पटेल, आशीष देवांगन, भुवनेश्वरी साहू, सरोज मिश्रा, भानुप्रताप ध्रुव, प्राचार्य एलके दास, जोगी सहित शाला परिवार के सदस्य उपस्थित थे.
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