आचार्य कहते हैं कि व्यक्ति के हाथ से पैसा चला जाए तो वह उसे दोबारा कमा सकता है लेकिन

लेकिन, व्यक्ति अगर धन कमाने के चक्कर में इन तीन चीजों का साथ छोड़ा देता है तो उन्हें वापस पाना मुश्किल हो जाता है।

चाणक्य के अनुसार, जब रिश्ते के बीच में पैसा आ जाता है तो वहां अहंकार और अहम जन्म ले लाता है।

जिससे रिश्तों में दरार आनी शुरु हो जाती है।

आचार्य चाणक्य के अनुसार, जहां धर्म, विद्या लक्ष्मी न हो वहां सकारात्मकता वास नहीं करती है।

साथ ही ऐसे घर में व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है।

चाणक्य के अनुसार धर्म रहित व्यक्ति शून्य के सामान है। चाणक्य कहते हैं कि धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए।

जो व्यक्ति पैसों के लिए धर्म का साथ छोड़ देता है वह अपनी प्रतिष्ठा भी खो देता है।

इतना ही नहीं जो व्यक्ति लालच करेगा वह अधर्म के रास्ते पर चलने लगता है।

कहते हैं आत्मसम्मान व्यक्ति की वह पूंजी है जिसे कभी भी खरीदा नहीं जा सकता है। धन तो व्यक्ति कमा लेता है

लेकिन, आत्मसम्मान पाना बहुत मुश्किल है। कहते हैं खोए हुए धन को दोबारा प्राप्त किया जा सकता है

लेकिन, धन कमाने से कई ज्यादा कठिन है आत्मसम्मान पाना। चाणक्य कहते हैं

पैसों के नशे में चूर व्यक्ति की तुलना में आत्मसम्मान से परिपूर्ण इंसान अधिक धनवान होता है।

जीवन में नहीं खाना चाहते धोखा तो इंसान को परखें, अपनाएं चाणक्य की ये नीतियां