आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में काफी कुछ बताया है। उनके द्वारा बताई गई हर एक बातें मनुष्य को जीवन में लक्ष्य पाने के लिए प्रेरित करती हैं।
उनकी नीतियां भले ही आपको सही न लगे लेकिन उनके द्वारा बताई गई हर एक बातें जीवन में किसी न किसी तरीके से सच्चाई जरूरी दिखाती हैं।
भागदौड़ भरी जिदंगी में आप उनके विचारों को अनदेखा ही क्यों न कर दें लेकिन अगर उन्हें ध्यान में रखा जाए तो व्यक्ति कई तरह की परेशानियों से बचा रह सकता है।
आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। चाणक्य जी ने अपनी नीति में धन को लेकर भी कई बातें बताई हैं।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि जाने-अनजाने में व्यक्ति कई ऐसी गलतियां कर बैठता है जिससे धन की देवी रुष्ठ हो जाती हैं। फिर क्या, मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलती और फिर धीरे-धीरे घर में कंगाली छा जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं किन गलतियों की वजह से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो पैसे का दिखावा करते हैं और फालतू चीजों पर पैसे खर्च करते हैं,
वैसे लोगों के पास मां लक्ष्मी कभी अपना आशीर्वाद नहीं देती हैं। चाणक्य जी कहते हैं कि ऐसा करने वाले व्यक्ति स्वंय अपनी बर्बादी की राह चुनते हैं
आचार्य चाणक्य के अनुसार, कभी भी रसोई गैस पर खाली और झूठे बर्तन नहीं रखने चाहिए। चूल्हे को हमेशा साफ-सुथरा ही रखना चाहिए। चूल्हे पर साफ-सुथरा बर्तन रखने से घर में सुख-शांति रहती है
समाज में सम्मान भी मिलता है। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। वहीं, चूल्हे पर खाली बर्तन रखकर छोड़ने से घर में दरिद्रता का वास होता है। ऐसे लोगों के घर में कभी बरकत नहीं होती।
चाणक्य जी कहते हैं कि अगर आप सूर्य के बाद घर में झाड़ू-पोंछा लगाते हैं तो इससे मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। क्योंकि झाड़ू में लक्ष्मी जी का वास होता है।
इसलिए सूर्यास्त के समय घर में झाड़ू लगाने से माता घर छोड़कर चली जाती हैं। अगर किसी वजह से झाड़ू लगानी पड़ जाए तो घर की गंदगी को घर में ही रख दें और फिर उसको सुबह फेंक दें।
चाणक्य जी के अनुसार, बुजुर्ग, विद्वान और महिलाओं का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी उस घर से दूर चली जाती हैं।
इसके साथ ही जिस घर में आए दिन झगड़े होते रहते हैं, जो व्यक्ति अपने माता-पिता को अपशब्द बोलते हैं
वो हमेशा धन के लिए तरसते रहते है। इन्हें न तो सुख मिलता है और न ही शांति।