कोरोना वायरस हमारी जिंदगी से निकलने को तैयार नहीं है। हालात थोड़ा सुधरते ही वह फिर रंग दिखाता है। पिछले दो दिनों में इसके केस अचानक बढ़े हैं।

ऐसा तब हुआ है जब एक अन्‍य वायरस से देश में हड़कंप मचा है। इसका नाम H3N2 इंफ्लुएंजा है।

बच्‍चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को इस वायरस से अलर्ट रहने को कहा गया है। अस्‍थमा, हार्ट और डायबिटीज के मरीजों को भी इस वायरस से दूसरों के मुकाबले ज्‍यादा खतरा है।

इस खतरे के बीच लोगों के मन में दोबारा एक सवाल आने लगा है। क्‍या मास्‍क, सैनेटाइजर और सोशल डिस्‍टेंसिंग का दौर दोबारा वापस लौटने वाला है?

पिछले कुछ महीनों में लोगों ने कोरोना को भुला दिया था। उन्‍हें लग रहा था कि यह खत्‍म हो चुका है। लेकिन, सच कुछ और ही है।

देश में 113 दिन बाद रविवार को कोरोना के केस अचानक तेजी से बढ़े। इस दिन 524 नए मामले सामने आए।

उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 3,618 हो गई। इसके अगले दिन यानी सोमवार को भी कोरोना वायरस के 444 नए मामले दर्ज किए गए।

वहीं, देश में H3N2 वायरस से भी हड़कंप मचा है। मौसमी इंफ्लुएंजा से अब तक तीन मौतें हो चुकी हैं।

फ्लू और कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच AIIMS के पूर्व प्रमुख डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी अहम बात कही है।

उन्‍होंने कहा है कि लोगों को फेस मास्‍क और लगातार सैनेटाइजर का इस्‍तेमाल करने की जरूरत है। 

डॉ गुलेरिया ने फ्लू वैक्‍सीन ड्राइव पर जोर देने की बात बोली है। उन्‍होंने कहा है कि कई लोगों ने अब मास्‍क और सैनेटाइजर का इस्‍तेमाल करना बंद कर दिया है।

क्‍या मास्‍क को दोबारा जरूरी किया जाना चाहिए? इस सवाल के जवाब में डॉ गुलेरिया ने कहा है कि मास्‍क का इस्‍तेमाल करने की जरूरत है।

कारण है कि मौसमी फ्लू ड्रॉपलेट इंफेक्‍शन है। यह खांसी से फैलता है। बच्‍चे स्‍कूलों में संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। फिर वे कैरियर का काम करते हैं।

वे घर आकर इसे उन बुजुर्गों को दे देते हैं जो गंभीर बीमारी से पीड़‍ित होते हैं। डॉ गुलेरिया कोविड पर नेशनल टास्क फोर्स का नेतृत्व कर चुके हैं।