24 सितंबर 2022 को शुक्र अपनी नीच राशि कन्या में आ चुके हैं।

शुक्र से सातवें स्थान मीन राशि में बृहस्पति चल रहे हैं जिसे गुरु-शुक्र का समसप्तक योग कहा गया है।

शास्त्रों के अनुसार इसका फल इस प्रकार है- ’देवगुरु के सामने जब चलते शुक्राचार।

धर्म विरोधी मर मिटे करते पापाचार।।

अर्थात जब गुरु और शुक्र का समसप्तक योग होता है तो परस्पर सप्तम दृष्टि से यह योग बहुत अशुभ होता है

इसमें देश, प्रदेश और विश्व में धार्मिक हिंसाएं बढ़ेंगी। अराजक तत्व उपद्रव मचाएंगे। प्रशासन को सख्त कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

लोकाचार के अनुसार नवरात्र से दिवाली तक कुछ लोग अपने वैवाहिक क्रियाकलापों को आगे बढ़ाते हुए सगाई, गोद भराई, रिंग सेरेमनी, गृह प्रवेश और भूमि पूजन कराते हैं।

नवरात्र से दिवाली तक कुछ लोग अपने वैवाहिक क्रियाकलापों को आगे बढ़ाते हुए सगाई, गोद भराई, रिंग सेरेमनी, गृह प्रवेश और भूमि पूजन कराते हैं।

यद्यपि ये मुहूर्त शास्त्रीय तो नहीं होते किंतु नवरात्रों से लेकर दीपावली तक का समय अच्छे मुहूर्त एवं योग के अनुसार बहुत से लोग करते हैं।

30 सितंबर को शुक्र अस्त हो रहे हैं जो 26  नवंबर को उदय होंगे।

इस बीच में उपरोक्त कार्यों को करना निषिद्ध माना गया है क्योंकि घर और गृहस्थ जीवन में शुक्र का प्रबल होना अच्छा है।