महासमुंद। सिरपुर क्षेत्र के केशलडीह में अज्ञात कारणों से बीती रात एक जंगली हाथी की मौत हो गई है। सुबह से सूचना पर पहुंचे अफसरों द्वारा मौत के कारणों पता लगाया जा रहा है। बतादें कि छग में लगातार 12 साल के भीतर अब तक 34 हाथी कंरेट में चिपकने से मौत हो गई है। हालांकि केशलडीह के मृत मिले हाथी को कंरेट से मौत होना नहीं बताया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही खुलासा हो पाएगा।
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मौके पर डीएफओ, रेंजर सहित व विभाग के कर्मचारी मौजूद हैं। घटना स्थल पर किसी ग्रामीणों को पहुंंचने नहीं दिया जा रहा है। अफसर भी मोबाइल रिसीव नहीं कर रहे हैं।
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घटना की पुष्टि केशलडीह वन समिति अध्यक्ष आैर राधेलाल सिन्हा ने की है। बताया कि जहां पर हाथी की मौत हुई है वहां पर किसी भी प्रकार से बिजली तार प्रवाहित नहीं है। घटना की जांच अधिकारी कर रहे हैं।
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जानिए प्रदेश में ऐसे हाथी की हो रही मौत
रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा कि छत्तीसगढ़ में मार्च 2005 से मार्च 2017 तक 103 हाथियों की मौत हुई। इसमें से 34 की मौत का कारण करंट लगना है। कुछ मामलों में हाथियों के विचरण क्षेत्र में बिजली लाइन के अत्यंत नीचे होने कारण घटना हुई। वहीं कुछ मौतें ग्रामीणों द्वारा तार में बिजली प्रवाह करने से हुई। धरमजयगढ़ वन मंडल के नारंगी वन क्षेत्र में 11 हजार केवी हाईटेंशन लाइन अत्यंत नीचे है।
इस हाईटेंशन लाइन को ठीक करने वन विभाग 2012 से छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी को पत्र लिख रहा है। वहां पानी पीने के लिए तालाब के मेड़ पर चढ़ रहे हाथी के सिर हाईटेंशन लाइन से छू जाने से मौत हुई थी।
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वन विभाग 2012 से लगातार सरगुजा क्षेत्र में बिजली लाइन को ऊंचा करने और केबलिंग करने की मांग कर रहा है। 23 जनवरी 2015 को राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में भी हाथियों की करंट से मौत पर चर्चा हुई थी।
इसके बावजूद करंट से हाथियों को बचाने कोई काम नहीं किया जा रहा है। याचिका में हाथी कॉरीडोर में बिजली लाइन को निर्धारित मानक तक ऊंचा कराने निर्देश देने की मांग की गई है।
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