Saturday, June 3, 2023
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Monsoon rain 2023: इस वर्ष भारत में कम होगी बारिश? वैज्ञानिकों ने की ये खुलासा, अल नीनो का खतरा लगातार मंडरा रहा

Monsoon rain 2023: वक्त पर मानसून की बारिश न हो या मानसून देर से आए तो इसके इतने नुकसान हो सकते हैं कि जिसकी कल्पना करने से भी डर लगता है. इस बीच दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने 1951 से लेकर 2015 के आंकड़ों का अध्यन करते हुए भारत में मानसून की बारिश को लेकर बड़ा खुलासा किया है. यूं तो भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 2023 में सामान्य मानसून बारिश की भविष्यवाणी की है. (Monsoon rain in India) लेकिन इसी साल के लिए कहा जा रहा है कि देश में कम बारिश का खतरा मंडरा रहा है. ऐसा क्यों है, आइए जानते हैं.

इस वर्ष देश में कम बारिश का खतरा!

भारतीय मानसून (IMD) को लेकर रॉयटर्स में प्रकाशित एक डिटेल्ड रिपोर्ट के मुताबिक मानसून के दौरान अल नीनो (El Nino) के पैटर्न के विकसित होने की 90% संभावना सामान्य से कम बारिश की आशंका को बढ़ाती है. पिछले 75 सालों में मानसून के सीजन यानी जून से सितंबर के दौरान इंडिया (Monsoon rain in India) ने अधिकांश अल नीनो वर्षों यानी अल नीनो पैटर्न के दौरान औसत से कम बारिश का अनुभव किया है. अल नीनो पैटर्न की वजह से कभी देश में भयानक सूखे की मार पड़ने से हाहाकार मचा तो कभी फसल खराब होने की वजह से सरकार को खाद्यान्नों के निर्यात को सीमित करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

जानें El Nino?  क्या है?

अल नीनो जलवायु प्रणाली का एक हिस्सा होने के साथ मौसम संबंधी महत्वपूर्ण घटना है. पूर्व और मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में जब महासागर की सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है, तब इसे अल नीनो की स्थिति कहा जाता है. इस वार्मिंग से वायुमंडलीय पैटर्न में बदलाव होता है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप पर मानसून का सर्कुलेशन कमजोर हो जाता है. इसी वजह से अल नीनो पैटर्न वाले वर्षों के दौरान मानसून कमजोर और कम भरोसेमंद हो जाता है. अल नीनो को सामान्य से ऊपर तापमान बढ़ोतरी के नतीजे के अनुसान कमजोर, मध्यम या मजबूत के रूप में वर्गीकृत किया जाता है.

जलवायु परिवर्तन के कारण बदल रहा है भारत के मानसून का मिजाज़, इन ग्लोबल वार्मिंग की वजह से होने वाली चरम घटनाओं का कृषि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा

अल नीनो और मानसून के बीच संबंध

El Nino  और मानसून की वर्षा के बीच संबंध बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि कई बार ऐसे मौके भी आए कि अल नीनो के बावजूद भारत में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई है. पिछले सात दशकों में अल नीनो मौसम का पैटर्न 15 बार बना और देश में छह बार सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई. हालांकि पिछले चार अल नीनो वाले सालों में एक विपरीत प्रवृत्ति सामने आई है.

जिसमें भारत को लगातार सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा है और लंबे समय के औसत के 90% से कम बारिश हुई. 2009 में एक कमजोर अल नीनो से देश की बारिश में भारी कमी हुई थी, जो सामान्य से 78.2% दर्ज हुई थी, जो पिछले 37 वर्षों में सबसे कम थी. इसके विपरीत 1997 में एक मजबूत अल नीनो हुआ फिर भी भारत में सामान्य बारिश से कही ज्यादा यानी 102% वर्षा हुई. इस बार के वेदर मॉडल से संकेत मिल रहे हैं कि 2023 अल नीनो मजबूत हो सकता है.

जानें क्यों महत्वपूर्ण है ?

बारिश्, भारत के लिए महत्वपूर्ण है, मानसून भारत में होने वाली बारिश का लगभग 70% हिस्सा प्रदान करता है. मानसून की वजह से चावल, गेहूं, गन्ना, सोयाबीन और मूंगफली जैसी फसलों की पैदावार प्रभावित हो सकती हैं. भारत की 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि का करीब 19% योगदान है. जिससे करीब 1.4 अरब आबादी वाले देश के करोड़ों लोगों को रोजगार मिलता है.

व्यापक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हुए मानसून का प्रभाव कृषि से परे पूरे देशभर में फैला हुआ है. पर्याप्त बारिश देश के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है, जिससे खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जो हाल ही में बढ़ी है. गौरतलब है कि देश में पिछले चार सालों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई है, इसके बावजूद अनाज, डेयरी उत्पादों और दालों की कीमतों में हाल के कुछ महीनों में उछाल आया है.

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