महासमुंद जिले में पर्यटकों को आकर्षित करने के सभी संसाधन मौजूद है। लेकिन अस्त-व्यस्त और रखरखाव नहीं होने के कारण इन मनोरम दृश्य से लोग आज भी अंजान हैं। इन अद्भूत मनोरम दृश्य को अब सब तक पहुंचाने का बीड़ा पर्यावरण प्रेमियों ने उठाया है। प्रकृति को संजोने के लिए अब तक जिले में तीन बैठक हो चुका है, सभी बैठकों में भारी संख्या में प्रकृति प्रेमी पहुंच रहे हैं। बतादें की प्रकृति धरोहर होने के साथ ही इन स्थानों में ऐताहासिक धरोहर सिरपुर, मोंहदी, खल्लारी तथा सुअरमार गढ़ है, जिसके नाम पर छत्तीसगढ़ का नामकरण हुआ है। इन स्थानों को पर्यटल स्थल भी घोषित किया गया है। लेकिन दो स्थान मोंहदी और सुअरमार अभी भी विकसित होने पीछे है।
पूरा जानिए किसने उठाया बीड़ा और कैसे जुड़ रहे लोग
-
इसके लिए रविवार को छछान माता मंदिर की पहाड़ी में बैठक आयोजित किए गए।
-
बैठक में 17 पर्यटन स्थान और मंदिर समिति के पदाधिकारी शामिल हुए।
-
इस बैठक में बुद्धजीवियों और पर्यावरण और काव्यस परिवार के सदस्यों ने शामिल होकर परिचर्चा की।
योगेश्वर ने कहा अद्वितीय और अचंभित करने वाली जगह हमारे पास है
- इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक योगेश्वर चन्द्राकर ने कहा भागदौड़ और आपाधापी की जिंदगी में व्यस्तता के बीच सुकून भरे माहौल औऱ प्राकृतिक वातावरण की तलाश हर किसी को है।
- शहरी क्षेत्रों में आर्टिफिशियल झरने तालाब और प्राकृतिक वातावरण और जंगली जीव जंतुओं के मूर्ति निर्मित कर व्यपारपारिक सुकून दिया जा रहा है।
- जबकि महासमुंद जिले में हर तरह के पर्यटकों को आकर्षित और सुकून देने वाले मनोरम स्थलों के साथ पुरातत्विक धार्मिक और रोमांचित करने के साथ अचंभित और अद्वितीय स्थल है।
- उन्हें सहेजने विकसित और प्रचारित करने की आवश्यकता है, जहां एक तरफ लोग आर्टिफिशियल झरनों में सुकून ढूंढते हैं।
धसकुड़ जलप्रपात एक मनोरम दृश्य

- सिरपुर से 10 किमी की दूरी पर प्रकृति द्वारा निर्मित लगभग 110 फीट की ऊंचाई से गिरता मनोरम झरना और अटखेलियां करता जलप्रपात है अपने आप मे पुरातन इतिहास की कहानी कहता विश्व धरोहर सिरपुर स्थित लक्ष्मण मंदिर और खुदाई में मीले बाजार शिक्षण केंद्र परकोटे तलघर देवस्थल और अन्य धरोहर है।
ध्रुर्वा किला एक ऐतिहासिक स्थान
- ऐतिहासिक यादों को समेटे जर्जर होता सिंघा धुर्वा किला है, जहां पर चेरी गोधनी, बघमाड़ा जैसे प्रकृति निर्मित चट्टान की विशाल छत है जिसका उपयोग कभी सभागार के रूप में होता रहा है आज भी उस एक पत्थर से निर्मित छत के नीचे 2000 लोग आसानी से सभा कर सकते हैं।
- छेरी गोधनी के भीतर भी 30 से 40 लोग बैठ सकते हैं लोगों के अनुसार यही कभी नागार्जुन की वैधशाला रहा है जहां तत्कालिक समय मे प्रयोग अनुसंधान कार्य हुआ करते थे विश्व में चर्चित दलाई लामा जी की तपोस्थली भी यही है।
- जिससे न केवल बाहर के लोग बल्कि स्थानीय लोग भी अछूते और अनभिज्ञ है।
छछान एवं शीतबाबा में कई आकर्षक गुफाएं
- छछान एवं शीत बाबा की पहाड़ी में आकर्षक गुफाए हैं जो खोज और संरक्षण के आभाव में पटने लगे हैं यहां की पहाड़ी से कोडार डेम की अपार जलराशि का मनोरम दृश्य बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
- कोडार डेम के रामघाट में हिलोरे लेती लहरों की जलतरंग सागर की अटखेलियों का अहसास कराती है। विशाल शिलाखण्डों की अव्यवस्थित स्वरूप भी आकर्षक और मनोरम लगता है जो आज कही न कही संरक्षण के आभाव में अनैतिक गतिविधियों और नशेबाजो की भेंट चढ़ रहा है।
पतई माता की पहाड़ी से sun सेट पाइंट
- पतई माता की पहाड़ी से sun सेट पाइंट बरबस ही पलकों को ठहरा देता है जहां आज लोग जू में जाकर भी वन्य जीवों से डर का अहसास करते आए इसके विपरीत मुंगाई और चंडी घुंचापाली में जंगली भालूओं का लोगों के हाथों से प्रसाद ग्रहण करना अद्वित्य और आकर्षण का केंद्र है, तो वही सुकून और वन्यजीवों के बीच कोलाहल से दूर प्रकृति के गोद मे निर्मित काटेज मचान में रहने का अपना ही मजा
इतिहासों से छिपा है महासमुंद
- बार नयापारा का राष्ट्रीय अभ्यारण्य है जहां सभी प्रकार के जंगली जीव बरबस ही चहल कदमी करते नजर आ जाते हैं। वही खल्लारी भीमखोज की विशाल पहाड़ी और माता रानी का दरबार अपने मे महाभारत काल के इतिहासों को अपने मे समेटे हुए है तो कही सुई की नोक पर टिकी विशाल शिलाखंड है, जो नाव की आकृति लिए डोंगा पथरा के रूप में स्थानीय लोगो के बीच प्रचलित है
- भीम सेन के विशाल पैर के निशान वनवास काल मे उनके चूल्हे के स्वरूप आज भी स्थापित है, जरूरत है इन्हें सहेजने संरक्षित और प्रचारित कर सर्वसुलभ और लोगों के पहुंच युक्त बनाने की क्यो की इन जगहों में आज भी पहुंच मार्ग सड़क पेयजल शौचालय और सुरक्षित विराम के लिए भवन की दरकार है
विकसित होगा तो लोगों को मिलेगा रोजगार
- इन्ही सब विषयो को लेकर पुरातात्विक धरोहर और इतिहास को सहेजने और लोगो को इससे रूबरू कराने के उद्देश्य से सभी प्रमुख स्थलों के लोगों को एक जुट कर शासन प्रशासन का ध्यान इस ओर करने का प्रयास किया जा रहा है।
- जहां विश्व में बहुत से देशो की आर्थिक मजबूती और रोजगार का प्रमुख जरिया पर्यटन है ऐसे में यदि इन स्थलों को संरक्षित और सवंर्धित किया जाए तो न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलने से राजकीय आय प्राप्त होगी बल्कि हजारो लोगों को रोजगार के अवसर के साथ व्यपारिक रूप से पिछड़े कहे जाने वाले महासमुंद जिले को आर्थिक मजबूती भी मिलेगी।
आगामी बैठक 20 मई को खल्लारी
- इस सम्बन्ध में अगली मीटिंग का आयोजन भीमखोज खल्लारी में पुनः 20 मई रविवार को आयोजित किया गया है जिसमे सभी पर्यावरण प्रेमी बुद्धजीवी पत्रकार इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के साथी विभिन्न समिति के सदस्य सादर आमंत्रित है
- रविवार की बैठक में कई प्रमुख स्थलों में देखने योग्य स्थलों एवम उनकी विशेताओ की जानकारी दी गई। साथ ही उन स्थलों को और आकर्षक और सर्वसुलभ बनाने आवश्यकताओ की जानकारी दी गई।
सहेजने के लिए पहला यह प्रयास
-
जिसमे प्रमुख रूप से सभी स्थानों तक पहुंच मार्ग ,सर्वजनीक शौचालय,पेयजल,विश्राम गृह विधुत व्यवस्था खल्लारी पहाड़ी में माता दर्शन के लिए रोप वे आरम्भ करने मनरेंगा एवम अन्य मदों से गुफाओं की सफाई पर्यटन मद उद्यानिकी मदो से उद्यानों की स्थापना सोलर लाइट से मार्गो के विधुतीकरण कोडार में वाटर स्पोर्ट एवम चंडी बांध में नौका विहार एवं तलाबों को सरोहर धरोहर योजना के अंतर्गत गहरीकरण और सौंदर्यीकरण की मांग को प्रमुखता से रखा गया।
कई क्षेत्रों से संगोष्ठी बैठक में हुए शामिल
- इस दौरान प्रमुखरूप से कोडार खल्लारी समिति प्रमुख नंदकुमार जी एवम सदस्यगण धसकुड़ जलप्रपात से दउवा निषाद एवं सदस्य शीत बाबा समिति से नोहर साहू एवं सदस्य भीमखोज से थानसिंग चन्द्राकर जी एवम सदस्यगण मंगाई से द्रोण चन्द्राकर एवं सदस्य गण पतई माता समिति से लक्ष्मण पटेल एवम सदस्यगण
- महासमुंद महामाया के सदस्य गण बेमचा खललारी से रमेश चन्द्राकर एवम सदस्य बिरकोनी चंडी के सदस्यगण दुधेश्वर नाथ दलदली से सुरेश चन्द्राकर जी एवम सदस्य गण बम्हनी एवम कनेकरा के साथ सोनाई रुपई खट्टी समिति से नंदकुमार साहू एवम सद्स्यगण विशेष रूप से मार्गदर्शन के लिए नारायण शुक्ला जी आदित्य जी खोजेन्द्र गिरी जी भागवत जगतभूमिल संजीव सिन्हा सरपंच पटेवा जयराम पटेल हृदय नारायण शुक्ला विनोद त्रिवेदी सोनू नरेश अग्रवाल शंकर विजय डहरिया आलोक खरे सेवक चेतन सुदामा घसिया डोमरसिह महेश रंजन कीर्तन मून दाउ दिलेर दयालु मुरारी श समारू भास्कर लगभग 250 लोग उपस्थित थे
- कार्यक्रम संयोजन एवम भोजन व्यवस्था का दायित्व सह संयोजक देवराज चन्द्राकर एवम छछान माता मंदिर स्मतीति अध्यक्ष गोवर्धन ध्रुव पुराणिक निषाद विजय डहरिया गंगाराम दिवान सिंह लोकनाथ लखन एवम सदस्य गणों ने निभाया यह पहल निश्चित ही महासमुंद जिला को पर्यटन एवम रोजगार के साथ आर्थिक मजबूती के अवसरो उपलब्ध कराने एवम सुरम्य प्राकृतिक वातावरण और इतिहास रामायण महाभारत बौद्धकाल एवम बाणासुर और अन्य राजाओं और वर्तमान से जोड़ने की अनूठी पहल होगी