देवशयनी एकादशी को हरि शयनी या पद्मा एकादशी भी कहा जाता है। यह दिन बेहद पावन माना जाता है क्योंकि इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है — यानी भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और मांगलिक कार्यों पर अस्थायी विराम लग जाता है।
📜 मान्यता:
इस दिन व्रत रखने और श्री हरि विष्णु की पूजा करने से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
⚠️ भूलकर भी न करें ये 3 कार्य – वरना रुष्ट हो सकते हैं विष्णु-लक्ष्मी:
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✂️ बाल या नाखून काटना:
शास्त्रों के अनुसार शुभ तिथियों पर बाल/नाखून काटना वर्जित है। इससे अशुभ फल मिलते हैं। -
🍲 तामसिक भोजन करना:
लहसुन, प्याज, मांसाहार, शराब आदि का सेवन इस दिन पूर्णतः निषेध है। -
📺 अशुद्ध विचारों या गलत संगत में रहना:
झूठ, चुगली, क्रोध और अपवित्र भावनाएं इस दिन पुण्य को नष्ट कर सकती हैं।
✅ देवशयनी एकादशी के दिन क्या करें?
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🛁 ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
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🪔 भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करें।
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🍬 पीली मिठाई का भोग लगाएं।
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🌳 पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें।
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📿 ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करें।
📅 विशेष योग:
इस वर्ष देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को ऐसे शुभ योग में पड़ रही है जब व्रत और पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा।
📌 नोट:
इस दिन से चातुर्मास आरंभ हो जाता है, जो देवउठनी एकादशी (9 नवंबर 2025) तक रहेगा। इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।